यह एक असामान्य बात है और इसने पूरी
दुनिया के साहित्यिक समाज को चौंका दिया
है. स्वीडिश एकेडमी ने घोषणा की है कि
वर्ष 2018 के लिए दिया जाने वाला साहित्य का नोबेल पुरस्कार अब वर्ष 2019 के
पुरस्कार के साथ ही प्रदान किया जाएगा. वैसे नोबेल पुरस्कारों के इतिहास में इससे
पहले भी कई दफा ऐसा हो चुका है कि किसी एक
साल का पुरस्कार उससे अगले साल के
पुरस्कारों के साथ दिया गया. उदाहरण के
लिए अमरीकी नाटककार यूजेन ओ’ नील को उनका 1936 का पुरस्कार 1937 में दिया
गया था. 1943 में साहित्य का नोबेल पुरस्कार द्वितीय
विश्वयुद्ध की वजह से स्थगित करना पड़ा था. इस बार स्वीडिश एकेडमी को यह असामान्य फैसला यौन दुर्व्यवहार और
वित्तीय घोटालों तथा गोपनीयता भंग करने के आरोपों के चलते करना पड़ा है. कहा जा रहा
है कि जबसे पुरस्कार शुरु हुए यानि 1901 के बाद से चर्चा में आने वाला यह सबसे बड़ा
और गम्भीर विवाद है. नोबेल समिति ने भी यह
कहते हुए स्वीडिश एकेडमी के इस फैसले का
स्वागत किया है कि सम्मानित संस्था के लिए यह मामला शर्मनाक है. नोबेल फाउण्डेशन ने
अपने एक वक्तव्य में यहां तक कहा है कि स्वीडिश एकेडमी का यह फैसला स्थिति की
गम्भीरता को रेखांकित करता है और उम्मीद ज़ाहिर की है कि इस फैसले से पुरस्कार की
दीर्घकालीन प्रतिष्ठा की रक्षा हो सकेगी.
पिछले कुछ समय से स्वीडन के प्रेस में
फ्रेंच फोटोग्राफ़र जौं क्लोड अरनॉल्ट के कथित यौन दुराचार की खबरें सुर्खियों में
थीं. पिछले साल नवम्बर में अठारह महिलाओं ने ‘मी टू’ आंदोलन के माध्यम
से अरनॉल्ट पर यौन हमलों व उत्पीड़न के आरोप लगाए थे. प्रोफेसर विट ब्रैट्स्ट्रोम
जैसे प्रतिष्ठित व्यक्तित्व ने तो यहां तक कहा है कि अर्नोल्ट ने एक दशक पहले
स्वीडिश एकेडमी के एक समारोह में स्वीडन की क्राउन प्रिंसेस विक्टोरिया को भी ग़लत
ढंग से स्पर्श किया था. कहा गया कि अरनॉल्ट ने ये दुष्कृत्य कई दफा एकेडमी के
स्वामित्व वाले परिसरों में भी किए. अरनॉल्ट पर एकेडमी के कर्मचारियों व सदस्यों
के रिश्तेदारों के साथ भी अवांछित यौन सम्बंध
बनाने के आरोप लगाए गए. अरनॉल्ट की पत्नी कवयित्री व लेखिका कटरीना फ्रोस्टेनसन हैं जो लम्बे समय
से स्वीडिश एकेडमी की एक सदस्या रही हैं. अरनॉल्ट व उनकी पत्नी बहुत लम्बे अर्से तक
स्टॉकहोम में फॉर्म नाम का एक क्लब भी
संचालित करते रहे हैं जहां नोबेल पुरस्कार विजेता एवम अन्य प्रतिष्ठित लेखकों
कलाकारों आदि के रचना पाठ, प्रदर्शनियां व अन्य
प्रदर्शन आयोजित होते रहे हैं. इस क्लब को एकेडमी से वित्तीय सहायता मिलती रही है.
अरनॉल्ट दम्पती पर एक बड़ा आरोप यह भी लगाया गया है कि उन्होंने कम से कम सात नोबेल
पुरस्कार विजेताओं के नाम समय से पहले लीक
किये. इन नामों में बॉब डिलन और हैरॉल्ड पिण्टर प्रमुख हैं. बहुत स्वाभाविक है कि
अरनॉल्ट के वकील ने इन तमाम आरोपों का
खण्डन किया और कहा कि ये आरोप उनके मुवक्किल की छवि को नुकसान पहुंचाने के इरादे से लगाए गए हैं.
इन तमाम आरोपों के बीच
स्वीडिश एकेडमी की अठारह सदस्यीय समिति ने
मतदान कर अरनॉल्ट की पत्नी कटरीना फ्रोस्टेनसन को समिति से निकालने का फैसला कर
लिया. उधर खुद कटरीना ने भी अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. एकेडमी की स्थायी
सदस्या सारा डेनिअस ने कहा कि संस्थान ने कथित आरोपों के बाद अरनॉल्ट से भी अपने
सम्बंध पूरी तरह तोड़ लिए हैं. डेनिअस समेत छह सदस्य भी अब तक इस समिति से इस्तीफा
दे चुके हैं. लेकिन यहीं सारा प्रकरण एक रोचक मोड़ पर आ खड़ा हुआ है. तकनीकी तौर पर
स्वीडिश एकेडमी के सारे अठारह सदस्य ज़िंदगी भर के लिए नियुक्त किए जाते हैं और वे
इस्तीफा भी नहीं दे सकते हैं. लेकिन हां, वे एकेडमी की बैठकों और उसके फैसलों में
शामिल न होने का विकल्प ज़रूर चुन सकते हैं. इसी प्रावधान के चलते आज स्थिति यह है
कि अठारह में से केवल दस सदस्य ही बचे हैं
जो सक्रिय हैं. लेकिन एकेडमी के प्रावधानों में यह बात भी शामिल है कि किसी
नए सदस्य के चुनाव के लिए न्यूनतम सदस्य संख्या बारह है. इस तरह ये दस सदस्य कोई
फैसला करने की हालत में भी नहीं हैं. इस गत्यवरोध को दूर करने के लिए एकेडमी के
संरक्षक राजा कार्ल गुस्ताफ़ सोलहवें ने घोषणा की है कि वे नियमावली में फेरबदल के मुद्दे पर गम्भीरता से विचार कर
रहे हैं. उन्होंने संकेत दिया है कि नियमों में बदलाव कर सदस्यों को स्वेच्छा से
पद त्याग की अनुमति दी जा सकती है.
वैसे स्वीडिश एकेडमी ने यह
भी कहा है नोबेल पुरस्कार विजेता के चयन की प्रक्रिया काफी अग्रिम अवस्था में है
और ज़ारी रहेगी,
लेकिन
विजेता की घोषणा होने में समय लगेगा. आशा की जानी चाहिए कि एकेडमी और नोबेल
फाउण्डेशन की इस त्वरित कार्यवाही के कारण नोबेल पुरस्कार की प्रतिष्ठा बनी रह
सकेगी.
जयपुर से प्रकाशित लोकप्रिय अपराह्न दैनिक न्यूज़ टुडै में मेरे साप्ताहिक कॉलम कुछ इधर कुछ उधर के अंतर्गत मंगलवार, 08 मई, 2018 को इसी शीर्षक से प्रकाशित आलेख का मूल पाठ.