तेज़ आवाज़ में बजता मादक-उत्तेजक संगीत, उस संगीत की धुन पर नाचतीं स्ट्रिपर्स और इनसे आनंदित सीटियां बजाते लोग.
यह मंज़र कहां का हो सकता है? आप कुछ सोच कर जवाब दें उससे पहले ही मैं
बता दूं कि अगर यह दृश्य चीन का है तो ज़रूर किसी शव यात्रा है. जी हां, चीन के बाहरी हिस्सो और गांवों में शव
यात्राओं में स्ट्रिपर्स का अश्लील नाच आम
बात है. अलबत्ता, यह भी बता देना उपयुक्त होगा कि वहां का प्रशासन एक बार फिर से
इस परम्परा को रोकने के लिए तत्पर हुआ है, लेकिन लोगों का खयाल है कि
उसे कामयाबी शायद ही मिले. मामला परम्पराओं का जो ठहरा. चीन के देहाती इलाकों में
शोक जताने आए लोगों के मनोरंजन के लिए कलाकारों, गायकों, मसखरों और
स्ट्रिपर्स को पैसे देकर बुलाने का रिवाज़ काफी समय से चला आ रहा है. वहां के एक
विश्वविद्यालय के एक प्रोफ़ेसर का कहना है कि चीन की कुछ स्थानीय परम्पराओं में
उत्तेजक नृत्य को मृतक की उस आकांक्षा से जोड़कर देखा जाता है जिसके अनुसार वह वंश
बढ़ाने का आशीर्वाद चाहता या चाहती है. लेकिन आम राय यही है कि अपने देश की ही तरह
चीन में भी अंतिम संस्कार के समय ज़्यादा लोगों की उपस्थिति को मरने वाले के प्रति
सम्मान का पैमाना माना जाता है इस लिए
उसके परिजन पैसे देकर इन लोगों को बुलाते हैं ताकि इनके आकर्षण में ही सही
शवयात्रा में लोगों की भीड़ बढ़ जाए. ज़ाहिर है कि इस तरह के कलाकारों को बुलाने में
खासा खर्चा होता है और यह खर्चा कर शोक ग्रस्त परिवार समाज में अपने वैभव का
दिखावा करने में भी गर्व का अनुभव करता है. वैसे यह माना जाता है कि इस परम्परा की
शुरुआत ताइवान से हुई है और वहां यह परम्परा आम है. वैसे ताइवान में भी बड़े शहरों
में इसका चलन बहुत कम है लेकिन शहरों के
दूरस्थ तथा बाहरी हिस्सों में अभी भी इसे देखा जा सकता है. पिछले ही बरस ताइवान के
दक्षिणी शहर जियाजी में हुए एक अंतिम
संस्कार में जीपों की छतों पर सवार करीब पचास पोल डांसर्स ने शिरकत की थी. यह
जानना रोचक होगा कि वह एक नेता का अंतिम संस्कार था और उनके परिवार के अनुसार
नेताजी की तमन्ना थी कि उनका अंतिम संस्कार रंगारंग हो!
अब चीन के संस्कृति
मंत्रालय ने इस परम्परा को ‘असभ्य’ बताते हुए घोषणा की है कि अगर कोई किसी के
अंतिम संस्कार के समय लोगों के मनोरंजन के लिए किराए पर स्ट्रिपर्स को बुलाएगा तो उसे कठोर दण्ड दिया जाएगा. वहां की सरकार
विगत में भी ऐसा करती रही है. मसलन सन 2006 में जियांगसू प्रांत में एक किसान के
अंतिम संस्कार के समय स्ट्रिपर्स की प्रस्तुति के बाद सरकार ने पांच लोगों को
हिरासत में लिया था और सन 2015 में भी ऐसा ही होने की खबर सामने आने के बाद सरकार
ने आयोजकों और कलाकारों को दण्ड दिया था. अब सरकार का ध्यान हेनन, एनख्वे, जियांगसू और खबे
जैसे उन प्रांतों पर ख़ास तौर पर केंद्रित है जहां यह रस्म अधिक प्रचलित है.
सरकार के अलावा चीनी
कम्युनिस्ट पार्टी ने भी अपने आठ करोड़ अस्सी लाख सदस्यों के लिए कुछ दिशा निर्देश
ज़ारी किये हैं,
हालांकि
पार्टी के अनुसार ये निर्देश भ्रष्टाचार
उन्मूलन अभियान का हिस्सा है. चीन में शादी और मौत के मौकों पर सम्बद्ध परिवारों
को कुछ नकद राशि देने का रिवाज़ है और अंतिम संस्कार के समय जो धन राशि दी जाती है वह
सांत्वना और शोक सम्बंधी खर्चों में मदद के तौर पर दी जाती है, लेकिन पार्टी का
खयाल है कि ऐसा करने से अनावश्यक भव्यता का माहौल बनता है और बहुत सारे लोग इन
मौकों का इस्तेमाल पैसा बनाने के लिए भी करते हैं, अत: इन पर नियंत्रण ज़रूरी है.
पार्टी का यह भी विचार है कि छोटे गांवों में शादियां और अंतिम संस्कार के
रस्मो-रिवाज़ कई दिनों तक चलते हैं और ये रोज़मर्रा के उत्पादन, जीवन, कामकाज,व्यवसाय, शिक्षण, यातायात आदि को
बाधित करते हैं अत: उसने लोगों को सलाह दी है कि वे अपनी स्थानीय परम्पराओं का
पालन आंख मूंदकर न करे. लेकिन पार्टी ने यह भी सावधानी बरती है कि उसके निर्देशों
से लोगों की भावनाएं आहत न हो, अत: उसने स्पष्ट कर दिया है कि वह परम्पराओं पर पूरी तरह रोक नहीं लगाना चाहती है.
लेकिन ऐसी स्थितियों में
जो प्रतिक्रियाएं अपेक्षित हैं वे ही चीन में भी हो रही हैं. वहां की जनता का एक
वर्ग इण्टरनेट और सोशल मीडिया पर इन
प्रयासों और सलाहों पर अपने गुस्से और नाराज़गी का इज़हार कर रहा है. ऐसे लोगों का
कहना है कि ये नियम अव्यावहारिक हैं और इनका पालन ज़्यादा ही कड़ाई से कराया जा रहा
है! अब देखना है कि जीत परम्पराओं की होती है या सुधार की!
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जयपुर से प्रकाशित लोकप्रिय अपराह्न दैनिक न्यूज़ टुडै में मेरे साप्ताहिक कॉलम कुछ इधर कुछ उधर के अंतर्गत मंगलवार, 28 फरवरी, 2018 को इसी शीर्षक से प्रकाशित आलेख का मूल पाठ.
जयपुर से प्रकाशित लोकप्रिय अपराह्न दैनिक न्यूज़ टुडै में मेरे साप्ताहिक कॉलम कुछ इधर कुछ उधर के अंतर्गत मंगलवार, 28 फरवरी, 2018 को इसी शीर्षक से प्रकाशित आलेख का मूल पाठ.