हो सकता है यह बात आपको अविश्वसनीय लगे, लेकिन है प्रामाणिक कि सिगरेट पीने से हर रोज़ कम से
कम 1200 अमरीकी यह दुनिया छोड़ जाते हैं. यह संख्या हत्याओं, एड्स,
आत्म हत्याओं, ड्रग्स, कार
दुर्घटनाओं और शराब की वजह से होने वाली मौतों के योग से ज़्यादा है. लेकिन इसके
बावज़ूद वहां सिगरेटों के विज्ञापन और उनकी बिक्री पर प्रभावशाली नियंत्रण नहीं हो
पा रहा है. और इसके मूल में है अमरीकी सिगरेट लॉबी की सामर्थ्य. यह लॉबी बहुत
महंगे और प्रभावशाली वकीलों की मदद से निरंतर कानूनी व्यवस्थाओं को ठेंगा दिखाने
में कामयाब हो जाती है. पिछले बीस बरसों से यह लॉबी एक ही रणनीति पर काम करती है
और वह है तीन मोर्चों पर अपना बचाव. ये तीन मोर्चे हैं कानूनी लड़ाई, राजनीति और जन भावनाएं. इस लॉबी के एक गोपनीय दस्तावेज़ से यह बात उजागर
हुई है कि इनकी रणनीति यह है कि सिगरेट पर स्वास्थ्य विषयक जो दोषारोपण हों,
उन्हें वास्तव में नकारने की बजाय उनके बारे में संदेह पैदा कर दिया
जाए. और इस रणनीति में यह लॉबी अब तक कामयाब रही है.
अब से ग्यारह बरस पहले
वॉशिंगटन की एक संघीय अदालत नौ माह तक सुनवाई करने के बाद इस नतीज़े पर पहुंची कि
“अमरीका के सिगरेट निर्माता जनता को धूम्रपान के खतरों की जानकारी देने के मामले में छल और धोखाधड़ी करते रहे हैं.
वे लोग अपने आर्थिक लाभ के लिए मानवीय
त्रासदी की अनदेखी करते हुए अपने खतरनाक उत्पादों को पूरे जोशो-खरोश के साथ बेचते
रहे हैं.” और इसलिए इस अदालत ने अमरीका के चार प्रमुख सिगरेट निर्माताओं को यह
आदेश दिया कि वे एक ‘सुधारात्मक
वक्तव्य’ ज़ारी कर इस
बात को सार्वजनिक रूप से स्वीकार करें कि
वे अपने उत्पादों से होने वाली हानि के मामले में जनता को अब तक बेवक़ूफ बनाते रहे
हैं और यह जानते हुए भी कि कम टार वाली या लाइट सिगरेटें भी उतनी ही नुकसानदायक
हैं, जनता में उनके काल्पनिक लाभों का प्रचार करते रहे हैं. अदालत
के आदेशानुसार एक निश्चित तिथि से प्रमुख अखबारों और टेलीविज़न नेटवर्क्स पर इस आशय का सुधारात्मक वक्तव्य प्रकाशित-प्रसारित
किया जाना शुरु होना था. यह वक्तव्य एक पूरे साल सप्ताह में पांच बार शाम
सात से दस बजे के बीच प्रमुख नेटवर्क्स पर प्रसारित किया जाना था. यही वक्तव्य पचास अग्रणी अखबारों में भी पूरे
पन्ने के विज्ञापन के रूप में लगातार पांच रविवार प्रकाशित किया जाना था. अदालत ने
यह भी आदेश दिया कि यह सुधारात्मक वक्तव्य
इस सूचना के साथ प्रकाशित प्रसारित किया जाए कि सिगरेट कम्पनियों ने जानबूझकर
अमरीकी जनता को धूम्रपान के ख़तरों से अनभिज्ञ रखा. इस पूरे वक्तव्य के पहले
अनिवार्यत: यह भी लिखा जाना था कि ‘यह है सच्चाई!’.
लेकिन असल खेल इसके बाद
शुरु हुआ. सिगरेट कम्पनियों ने इस आदेश के
खिलाफ़ अपील की और वे यह अनुमति पाने में कामयाब रहीं कि बजाय उक्त सूचना के वे यह
लिखेंगी कि एक संघीय अदालत ने कम्पनियों को यह आदेश दिया है कि वे धूम्रपान के
स्वास्थ्य विषयक प्रभावों के बारे में यह वक्तव्य ज़ारी करें. दोनों इबारतों को
ध्यान से पढ़ने पर उनसे मिलने वाले संदेश
के अंतर को आसानी से समझा जा सकता है. ‘खतरे’ को ‘प्रभाव’ में बदल देने से सारी भयावह गम्भीरता धुंए
में उड़ गई है. यही नहीं, अब इस इबारत में सिगरेट उद्योग के
उस दीर्घकालीन छलपूर्ण अभियान का कोई ज़िक्र ही नहीं है जिसे माननीय अदालत ने
सुधारना चाहा था. यानि अपने वकीलों की काबिलियत के बल पर अति समृद्ध अमरीकी सिगरेट
उद्योग अमरीकी जनता की सेहत के साथ बरसों किए गए खिलवाड़ के बारे में न सिर्फ आत्म
स्वीकृति करने से बच गया, उसने एक ऐसा नख दंत विहीन वक्तव्य
देने की इजाज़त भी प्राप्त कर ली, जो जनता को धूम्रपान के
ख़तरों के प्रति तनिक भी आगाह नहीं करता है. यानि कुल मिलाकर हुआ यह कि अदालत ने जो
सही काम किया था, उसे यह लॉबी अपने धन बल के दम पर प्रभावहीन
कर सकने में सफल हो गई.
वैसे सारी दुनिया के
स्वास्थ्य कर्मी और स्वास्थ्य विशेषज्ञ अब करीब-करीब एकमत हैं कि धूम्रपान सेहत के
लिए नुकसानदायक है. कहा तो यह जाता है कि खुद सिगरेट उद्योग भी न सिर्फ इस यथार्थ
से परिचित है,
अपनी गोपनीय बैठकों में वह इसे स्वीकार भी करता है, लेकिन उनके व्यावसायिक
हित इतने प्रबल हैं कि वह तमाम तरह के
भाषाई छल छद्म का सहारा लेकर यथार्थ को
कुछ इस अंदाज़ में प्रस्तुत करने की अनुमति हासिल कर लेता है कि वह यथार्थ यथार्थ न
रहकर निरर्थक शब्दों का खूबसूरत लगने वाला कागज़ी गुलदस्ता मात्र रह जाता है. उनका
एकमात्र सरोकार यह है कि धंधा चलता रहे और तिजोरियां भरती रहें.
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जयपुर से प्रकाशित लोकप्रिय अपराह्न दैनिक न्यूज़ टुडै में मेरे साप्ताहिक कॉलम कुछ इधर कुछ उधर के अंतर्गत बुधवार, 29 नवम्बर, 2017 को इसी शीर्षक से प्रकाशित आलेख का मूल पाठ.