Tuesday, September 19, 2017

बड़े लोगों के बड़े और अजीबो-गरीब उपहार

उपहार हमारे सामाजिक व्यवहार का अभिन्न अंग हैं. इनसे जहां देने वाले की सुरुचि और कल्पनाशीलता का पता चलता है वहीं यह बात भी उभरती है कि उपहार देने वाला उपहार पाने वाले के बारे में कितनी जानकारी रखता है और उसकी रुचियों के प्रति कितना सजग और संवेदनशील है. निश्चय ही उपहार देने और लेने वाले की आर्थिक स्थिति के भी परिचायक होते हैं. लेकिन ये सारी बातें तो हुईं व्यक्तियों के निजी स्तर पर लिये-दिये गए उपहारों के बारे में. विचारणीय बात यह है कि जब एक देश का  प्रधान किसी दूसरे देश के प्रधान को कोई उपहार देता है तब क्या होता है? क्या तब भी इन बातों का खयाल रखा जाता है? हमारे देश में इस बात की बहुत अधिक चर्चा नहीं होती है कि हमारी सरकार ने किसी विदेशी राष्ट्राध्यक्ष को क्या उपहार दिया या उनकी विदेश यात्रा के अवसर पर हमारे देश के प्रधानमंत्री या राष्ट्रपति को उपहार स्वरूप क्या दिया गया. थोड़ी बहुत चर्चा जो होती है उससे कोई ख़ास तस्वीर नहीं उभर पाती है. लेकिन इधर  अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में इस बारे में काफी कुछ लिखा गया है कि इन बड़े लोगों के उपहार क्या और कैसे होते हैं.

हाल में अमरीका के स्टेट डिपार्ट्मेंट ने एक सूची ज़ारी कर यह बताया है कि अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प को मई माह में सऊदी अरब की उनकी यात्रा के दौरान कुल 83  बेशकीमती उपहार मिले. डोनाल्ड ट्रम्प राष्ट्रपति  का पदभार ग्रहण करने के बाद अपनी पहली विदेश यात्रा पर अरब इस्लामी शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए सऊदी अरब की राजधानी रियाद गए थे. सऊदी अरब के शाह सलमान बिन अब्दुल अज़ीज़ अल सउद ने उन्हें जो बेहद कीमती उपहार दिये उनमें अनेक तलवारें, खंजर, हीरे-मोतियों और सोने चांदी से जड़ी पोशाकें, सुनहरी ऊन के लबादे जिनके  किनारों  पर  शेर चीतों के फर की सज्जा है, पारम्परिक अरबी वेशभूषा, चमड़े के सैंडिल, इत्र और कलाकृतियां शामिल हैं. पश्चिमी मानदण्डों से बहुत कीमती समझे जाने वाले इन उपहारों के बारे में  अरेबिया फाउण्डेशन के एक्ज़ीक्यूटिव डाइरेक्टर अली शिहाबी का कहना है कि ये उपहार उतने कीमती नहीं हैं जितने पहले के उपहार हुआ करते थे. पहले की खाड़ी की सरकारें तो बहुत ही महंगे उपहार, जैसे कीमती घड़ियां और आभूषण आदि  दिया करती थीं. अब तो स्थानीय संस्कृति की परिचायक और वहां की कलात्मक विरासत  की प्रतीक चीज़ें ही उपहार में दी जाती हैं.

आम तौर पर उपहार देते समय लेने वाले की रुचियों का भी पूरा ध्यान रखा जाता है. यही वजह है कि उनकी विदेश  यात्राओं के समय अमरीकी राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन को उनकी काउ बॉय वाली छवि के अनुरूप एक घोड़ा और राष्ट्रपति बिल क्लिण्टन को उनके संगीत प्रेम  के कारण  एक सेक्सोफोन भी भेंट किया जा चुका है. बराक ओबामा को जर्मन चांसलर एंजिला मारकेल ने बास्केटबॉल  खेल रहे एक आदमी की पेण्टिंग उपहार में दी तो क़तर के अमीर ने उन्हें 110,000 डॉलर मूल्य की एक यांत्रिक चिड़िया उपहार  स्वरूप प्रदान की. इस चिड़िया के अलावा बेशकीमती रत्नों  से जड़ित  एक घोड़ा भी उन्हें उपहार स्वरूप प्रदान किया गया. यहीं यह भी याद कर लेना ज़रूरी है कि अधिकांश देशों में राष्ट्राध्यक्षों को उनकी विदेश यात्राओं में मिले उपहार सरकारी भण्डार में जमा कराने होते हैं. अमरीका में किसी विदेशी सरकार से 390 डॉलर से अधिक मूल्य का उपहार लेने की मनाही है. लेकिन अगर कोई सरकारी अधिकारी चाहे तो इससे अधिक मूल्य वाला उपहार उसका प्रचलित बाज़ार दर वाला  मूल्य सरकार को चुकाकर खुद रख सकता है. इसी प्रावधान का प्रयोग कर हिलेरी क्लिण्टन ने सन 2012 में म्यांमार की प्रतिपक्ष की नेता आंग सांग सू की द्वारा भेंट में दिया गया काले मोतियों का नेकलेस 970 डॉलर का मूल्य चुकाकर प्राप्त किया गया था.

और बात जब उपहारों की चल रही है तो ऐसा कैसे हो सकता है कि हम उस उपहार की बात न करें जो 1886 में फ्रांस द्वारा अमरीका को दिया गया था. मेरा इशारा उस स्टेच्यू ऑफ लिबर्टी की तरफ है जो आज अमरीका का पर्याय बन चुका है. इस भव्य प्रतिमा का  निर्माण पेरिस में हुआ और फिर इसे 214 क्रेट्स में पैक कर अमरीका भेजा  गया. उपहारों में विराट की एक मिसाल हाल में भी देखने को मिली जब यह ख़बर आई कि नॉर्वे अपने मित्र देश फिनलैण्ड को उसके सौवें जन्म दिन पर एक पहाड़ ही उपहार स्वरूप दे रहा है! अजीबोगरीब उपहारों की यह चर्चा चीन के ज़िक्र के बग़ैर भला कैसे पूरी हो सकती है जिसने 1972 में राष्ट्रपति  निक्सन को दो विशालकाय पाण्डा (भालू से मिलते-जुलते प्राणी) उपहार स्वरूप दिये और उसके बाद तो चीनी इतनी बार इन प्राणियों को भेंट में दे चुके हैं कि अंतर्राष्ट्रीय राजनय की दुनिया में एक नया शब्द ही चलन में आ गया है:  पाण्डा डिप्लोमेसी. 

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जयपुर से प्रकाशित लोकप्रिय अपराह्न दैनिक न्यूज़ टुडै में मेरे साप्ताहिक कॉलम कुछ इधर कुछ उधर के अंतर्गत मंगलवार, 19 सितम्बर, 2017 को प्रधानमंत्री  या राष्ट्रपति को उपहार स्वरूप क्या दिया गया शीर्षक से प्रकाशित इसी आलेख का मूल पाठ.