मनुष्य का स्वभाव भी क्या
शै है! अपनी नापसंदगी का इज़हार करने के लिए भी यह कैसे-कैसे तरीके इज़ाद कर लेता
है! अब देखिये ना,
अगर एक पड़ोसी देश अपनी हरकतों की वजह से हमें नापसंद है तो हम किसी
पर अपना गुस्सा निकालने के लिए कह देते हैं कि तुम वहां चले जाओ, या हम तुम्हें वहां भेज देंगे. इस अभिव्यक्ति में अज़ीब बात यह है कि
सामान्यत: विदेश जाकर लोग खुश होते हैं, और अगर कोई और
उन्हें भेज रहा हो तो कहना ही क्या! लेकिन विदेश यात्रा का यह प्रस्ताव एक अलग ही
धुन सुनाता है. यह बात मुझे इससे मिलते-जुलते एक संदर्भ में अनायास याद आ गई. आज वैलेण्टाइन डे है. यानि प्रेम का दिन.
हमारे उत्सवों की सूची में हाल में जुड़ा एक नाम. भले ही देश के अधिसंख्य युवाओं का
यह सर्वाधिक लाड़ला उत्सव हो, बहुत हैं जो इस दिन का नाम आते
ही व्यथित, कुपित, आक्रोशित वगैरह हो
जाते हैं. उन्हें लगता है कि यह उत्सव नहीं, पश्चिम से आया
एक ख़तरनाक वायरस है. बहुतों को यह बाज़ार की नागवार हरकत लगता है. बहुतों को लगता
है कि इस विदेशी बीमारी ने हमारी युवा पीढ़ी को पथभ्रष्ट कर दिया है. आदि-आदि. अगर
आप भी इन ‘बहुतों’ में से एक हैं, तो आगे की
बातें विशेष रूप से आपको ही सम्बोधित हैं. और अगर आप इन बहुतों में से एक नहीं हैं,
तो भी कोई बात नहीं. अपना सामान्य ज्ञान बढ़ा लेने में भी कोई
हर्ज़ नहीं है.
यह जो 14 फरवरी का दिन है, इसे
दुनिया के बहुत सारे देशों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है. अंकल सैम के देश
यानि अमरीका में यह दिन सिंगल्स
अवेयरनेस डे के रूप में मनाया जाता है. इस दिन के आद्याक्षरों को जोड़ने से
बनता है अंग्रेज़ी शब्द सैड, और अगर आप भी वैलेण्टाइन डे को
नापसंद करने वालों में से हैं तो स्वाभाविक ही है कि आपको इस दिन का सैड होना बहुत
अच्छा लगेगा. अमरीका में इस दिन अकेले लोग अपने अकेलेपन का उत्सव मनाते हैं और
सोशल मीडिया पर अपने जैसों को शुभ कामनाएं
देते हैं या उनका हौंसला बढ़ाते हैं. अगर अमरीकियों की यह सात्विक नापसंदगी आपको
अपर्याप्त लगे तो ज़रा कोरिया के बारे में जान लीजिए. वहां यह दिन ब्लैक डे
यानि स्याह दिवस के रूप में मनाया जाता है. वजह वही है, यानि
अकेलापन. इस दिन वहां के साथी विहीन लोग रेस्तराओं में एकत्रित होते हैं और अपना
तमाम रंज-ओ-ग़म एक ख़ास किस्म की सस्ती लेकिन स्वादिष्ट चीनी-कोरियाई डिश में डुबो देते हैं. इस डिश
में ब्लैक बीन की सॉस में नूडल्स परोसे
जाते हैं, जिन पर पोर्क और सब्ज़ियां सजी होती हैं. काले रंग
की सॉस वाले नूडल्स के चटकारे लेकर ग़म ग़लत करने का यह उत्सव कोरिया में पिछले दस
बरसों में काफी लोकप्रिय हुआ है. अमरीका और कोरिया की ही तरह चीन में भी एक दिन सिंगल्स
डे के रूप में मनाया जाता है. हालांकि वहां यह सिंगल्स डे ग्यारह नवम्बर को
मनाया जाता है, मैं यहां इसका ज़िक्र इसलिए करना उचित समझ रहा
हूं कि वहां नब्बे के दशक में यह दिन वैलेण्टाइन डे के प्रति विरोध स्वरूप मनाया
जाने लगा था. मज़ेदार बात यह कि चीन में इस दिन एकल जन अपने लिए खरीददारी करते हैं.
इस दिन उनकी सक्रियता का आलम यह है कि सन 2013 में चीन की सबसे बड़ी ऑनलाइन शॉपिंग
कम्पनी ने अकेले इस दिन पौने छह बिलियन अमरीकी डॉलर बटोरे. इस राशि की विशालता का
अनुमान इस बात से लगाया जा सकता है कि यह सारे अमरीकी खुदरा व्यापारियों की एक दिन
की कमाई की ढाई गुना है.
लेकिन ऐसा भी नहीं है कि सारी दुनिया तैयब अली (यानि प्यार की दुश्मन) है! फिनलैण्ड ने इस दिन को फ्रैण्डशिप डे का नाम देकर एक सात्विक रंगत प्रदान कर दी है, हालांकि वहां भी इसे दोस्तों और प्रेमियों के दिन के रूप में ही मनाया जाता है. लेकिन इन सबसे अलहदा और दिलचस्प है चार महाद्वीपों के करीब चालीस देशों में सन 2003 से मनाया जा रहा क्वर्कीअलोन डे. इस दिन को मनाने के विचार का मूल है साशा कागन की किताब क्वर्कीअलोन: अ मेनिफेस्टो फॉर अनकम्प्रोमाइज़िंग रोमाण्टिक्स. इस
दिन को मनाने वालों का यह स्पष्ट दावा है कि उनकी अवधारणा वैलेण्टाइन डे के विरोध
में नहीं है. वे तो बस रोमांस,
दोस्ती और स्वतंत्र भाव का उत्सव मनाना चाहते हैं. वे हर तरह के
प्रेम का समर्थन करते हैं, चाहे वह रोमाण्टिक हो, प्लैटोनिक हो, पारिवारिक हो, या
अपने आप से हो. उनकी असहमति वैलेण्टाइन डे के बाज़ारीकरण से है और वे चाहते
हैं कि लोग खुलकर खुशियां मनायें, भले ही वे अकेले हों. अब, यह तो एक ऐसा विचार है जिससे शायद ही किसी को कोई असहमति हो!
तो आप भी सोच लीजिए, कि आज आपको कौन-सा डे मनाना
है?
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जयपुर से प्रकाशित लोकप्रिय अपराह्न दैनिक न्यूज़ टुडै में पेरे साप्ताहिक कॉलम कुछ इधर कुछ उधर के अंतर्गत मंगलवार, 14 फरवरी, 2017 को इसी शीर्षक से प्रकाशित आलेख का मूल पाठ.