अमरीका की एक प्रसिद्ध खिलौना कम्पनी की
बनाई हुई एक बिल्ली, जिसका नाम जॉय फॉर ऑल
है, पिछले दो बरसों से बाज़ार में है. यह बिल्ली गुर्राती है, म्याऊं म्याऊं करती है, अपने पंजे को चाटती है और कभी-कभी उलटी होकर लेट भी जाती
है ताकि आप इसका पेट सहला सकें. इस बिल्ली का निर्माण वरिष्ठ जन के लिए एक साथी की
ज़रूरत को ध्यान में रखकर किया गया था. यहां याद कर लेना उचित होगा कि पश्चिमी
देशों में बढ़ती उम्र का अकेलापन बहुत बड़ी सामाजिक समस्या है. यह बिल्ली अकेलेपन से
जूझ रहे बूढों को कम्पनी देती है और बूढों को इसका मल मूत्र भी साफ नहीं करना पड़ता
है. यानि यह बग़ैर उनकी ज़िम्मेदारी बढ़ाए उन्हें साहचर्य प्रदान करती है. लेकिन
अच्छी ख़बर इसके बाद है.
अमरीका की नेशनल साइंस फाउण्डेशन ने तीन बरस के लिए एक
लाख मिलियन डॉलर का अनुदान दिया है जिसकी मदद से यह खिलौना कम्पनी और ब्राउन
यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक मिलकर इस इस रोबोटिक बिल्ली को कृत्रिम बुद्धि से भी युक्त
कर देंगे. आशा की जाती है कि यह कृत्रिम
बुद्धि सम्पन्न बिल्ली वृद्धजन को उनके
रोज़मर्रा के सामान्य काम निबटाने में मददगार साबित होगी. फिलहाल ब्राउन
विश्वविद्यालय के ह्युमैनिटी सेण्टर्ड रोबोटिक्स इनिशिएटिव के शोधकर्ता इस बात की
पड़ताल में जुटे हैं कि इस बिल्ली को ऐसे कौन कौन-से कामों के लिए तैयार करना
उपयुक्त होगा जो घर में अकेले रहने वाले वृद्धजन के लिए उपयोगी हों. इस बात के लिए
ये लोग शोधकर्ताओं की टीम की मदद से यह पड़ताल कर रहे हैं कि वृद्धजन की रोज़मर्रा
की ज़िंदगी कैसी होती है और उनकी ज़रूरतें क्या
होती हैं. वे यह भी सुनिश्चित कर रहे हैं कि उन्नत बिल्ली नए काम किस तरह करेगी.
विश्वविद्यालय के एक प्रोफ़ेसर ने मज़ाक के लहज़े में कहा कि हमारी यह बिल्ली न तो
कपड़े प्रेस करेगी और न बर्तन मांजेगी. उससे कोई यह भी उम्मीद नहीं करता है कि वो
गपशप करेगी, और न ही यह आस लगाता है कि वो जाकर अखबार उठा लाएगी. उनके मन में यह बात
बहुत साफ़ है कि बोलने वाली बिल्ली की ज़रूरत किसी को नहीं है. इस प्रोफ़ेसर ने यथार्थपरक लहज़े में
कहा कि हम अपनी इस बिल्ली की कार्यक्षमता के बारे में बढ़ा-चढ़ाकर कोई दावा नहीं
करना चाहते. हम तो बस एक ऐसी बिल्ली तैयार करना चाहते हैं जो रोज़मर्रा के बहुत
सामान्य काम कर सके, जैसे कि वो अपने साथी वृद्ध को उनकी खोई
चीज़ें तलाश करने में मदद कर दे या उन्हें डॉक्टर के अपाइण्टमेण्ट की याद दिला दे
या ज़रूरत पड़ने पर यह सुझा दे कि वे किसे फोन करें! और हां, उनकी
कोशिश यह भी है कि यह बिल्ली बहुत महंगी न
हो, हर कोई इसे खरीद सके. अभी जो बिल्ली बाज़ार में उपलब्ध है
उसकी कीमत एक सौ डॉलर है और इनकी कोशिश है कि यह नई कृत्रिम बुद्धि वाली बिल्ली
इससे थोड़ी ही ज़्यादा कीमती हो. यही वजह है
कि इन लोगों ने अपनी इस परियोजना को नाम दिया है: अफोर्डेबल रोबोटिक इण्टेलीजेंस
फॉर एल्डरली सपोर्ट- संक्षेप में एरीज़ (ARIES).
पश्चिमी दुनिया की सामाजिक
परिस्थितियों में कृत्रिम बुद्धि सम्पन्न बिल्ली का यह विचार बहुत पसंद किया जा
रहा है. एक कामकाज़ी महिला ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि उनकी 93 वर्षीया
मां उनके साथ रहती हैं और उम्र के साथ वे बहुत सारी बातें भूलने लगी हैं. लेकिन
उन्होंने अपनी मां को जो जॉय फॉर ऑल
बिल्ली खरीद कर दी वह उनके लिए बहुत मददगार साबित हुई है और जब वे काम पर चली जाती
हैं तो बिल्ली उनकी मां की बहुत उम्दा साथिन साबित होती है, उनकी मां भी
उससे असली बिल्ली जैसा ही बर्ताव करती हैं, हालांकि
वे यह जानती है कि यह बिल्ली बैट्री चालित है. वे सोचती हैं कि जब यह बिल्ली
कृत्रिम बुद्धि से युक्त हो जाएगी तो उनकी मां के लिए इसकी उपादेयता कई गुना बढ़
जाएगी. अभी मां काफी कुछ भूल जाती है, बिल्ली उन्हें ज़रूरी
बातें याद दिला दिया करेगी.
इस परियोजना पर काम कर रहे
विशेषज्ञों को उम्मीद है कि निकट भविष्य में विकसित की जाने वाली यह कृत्रिम
बुद्धि युक्त बिल्ली मनुष्यों के साथ एक ऐसा पारस्परिक रिश्ता कायम कर सकेगी जिसकी उन्हें बहुत ज़्यादा ज़रूरत
है. वे यह भी उम्मीद कर रहे हैं कि उनके द्वारा विकसित की जाने वाली यह बिल्ली
वृद्धजन को एकाकीपन,
चिंता और अवसाद से काफी हद तक निज़ात दिला सकने में कामयाब होगी. कामना
करनी चाहिए कि वर्तमान सुख-सुविधाओं और
अमीरी की तरफ बुरी तरह भागते-दौड़ते और
व्यक्ति केंद्रित समाज ने जो समस्याएं पैदा कर दी हैं उनसे एक हद तक मुक्ति दिलाने
में और कोई नहीं तो यह यांत्रिक प्राणी तो सफल हो ही जाएगा.
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जयपुर से प्रकाशित लोकप्रिय अपराह्न दैनिक न्यूज़ टुडै में मेरे साप्ताहिक कॉलम कुछ इधर कुछ उधर के अंतर्गत मंगलवार, 26 दिसम्बर, 2017 को इसी शीर्षक से प्रकाशित आलेख का मूल पाठ.
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