Tuesday, June 7, 2016

बेटियों के पक्ष में राष्ट्रगान में बदलाव की मांग

कनाडाई संसद में वहां के एक लिबरल सांसद मॉरिल  बेलांगर ने राष्ट्रगान में संशोधन का एक बिल पेश कर रखा  है.  वे चाहते हैं कि कनाडा के  वर्तमान राष्ट्रगान में आने वाले शब्दों ‘तुम अपने सभी बेटों में देशभक्ति जगाते हो’ को बदल कर ‘तुम हम सबमें देशभक्ति जगाते हो’ कर दिया जाए, यानि वे इसे बेटों तक सीमित नहीं रहने देना चाहते हैं. मॉरिल का कहना है कि इस संशोधन के माध्यम से वे उन स्त्रियों को भी मान देना चाहते हैं  जिन्होंने आज के कनाडा को आकार देने में अपना योग दिया है. मॉरिल ने संसद के पिछले अधिवेशन में भी यह संशोधन प्रस्तुत किया था लेकिन तब यह संशोधन इसका विरोध करने वाले 144 मतों के विरुद्ध केवल 127 मत ही पा सका था. लेकिन अब मॉरिल के इस बिल को न केवल काफी समर्थन मिल रहा है, इसे जल्दी  से जल्दी पारित करने के लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं. इसकी वजह यह है कि मॉरिल एक असाध्य रोग से गम्भीर रूप से पीड़ित हैं,  और उनका स्वास्थ्य निरंतर गिरता जा रहा है. वे बिल्कुल भी नहीं बोल पाते हैं. यहां तक कि कनाडाई संसद में जनवरी में यह बिल भी उन्होंने अपने आइ पैड पर स्थापित एक टेक्स्ट टू स्पीच प्रोग्राम की मदद से ही प्रस्तुत किया था. चाहा जा रहा है कि यह संशोधन उनके जीवन काल में ही पारित हो जाए. जिन सांसदों ने पिछली दफा इस संशोधन का विरोध  किया था उनमें से भी अनेक इस बार इसका समर्थन कर रहे हैं.

लेकिन ऐसा भी नहीं है कि हर कोई इस संशोधन का समर्थन  ही कर रहा है. कनाडा के कंज़र्वेटिव तथा उसके सहयोगी दलों के सदस्य आम तौर पर इसके विरोध में हैं. उनका कहना है कि “राष्ट्रीय प्रतीकों में बदलाव का मार्ग बहुत फिसलन भरा है. हो सकता है कि कल को कोई वनस्पति विज्ञानी उठ खड़ा हो और कहने लगे कि हमारे राष्ट्रीय ध्वज में मेपल की पत्ती का आकार सही नहीं है इसलिए उसे बदल दिया जाए. कल को कोई और भी किसी राष्ट्रीय प्रतीक के लिए इसी तरह की मांग कर सकता है.” एक कंज़र्वेटिव सांसद एरिन ओ’टूल का कहना है कि हालांकि उन्हें मॉरिल की अवस्था  से गहरी सहानुभूति है, वे इसे उचित नहीं मानते कि कनाडा की विरासत के महत्वपूर्ण हिस्सों के साथ कोई छेड़छाड़ की जाए.

वैसे यहीं यह जान लेना भी कम रोचक नहीं होगा कि मॉरिल जो संशोधन चाह रहे हैं अगर वो कर दिया गया तो कनाडाई राष्ट्रगान का नया रूप करीब-करीब वैसा ही हो जाएगा जैसा यह 1914 से पहले था. असल में 1914 में ही ‘तुम हममें सच्ची देशभक्ति  जगाते हो’ को बदल कर ‘तुम अपने सभी बेटों में देशभक्ति जगाते हो’ किया गया था. और इसके मूल में यह तमन्ना थी कि प्रथम विश्व युद्ध के दौर में देश के लिए समुद्र पार जाने वाले युवकों में देश भक्ति  का जोश जगाया  जा सके. वैसे कनाडा के इस राष्ट्रगान  ने बदलावों के कई दौर देखे और झेले  हैं.  इस गीत की रचना मूल रूप  से फ्रेंच भाषा में 1880 में हुई थी. एक समय तो ऐसा भी रहा जब कनाडा की फ्रेंच भाषी जनता तो यह गान  गाती थी और वहां की अंग्रेज़ी भाषी जनता इसकी बजाय अंग्रेज़ी राष्ट्रगान ‘गॉड  सेव द किंग’ ही गाती थी. फिर 1906 में इस फ्रेंच राष्ट्रगान का रॉबर्ट स्टेनली वियर नामक कनाडाई कवि और जज रचित यह अंग्रेज़ी संस्करण चलन में आया. इसके बाद इसमें दो बार संशोधन हुए. इसका वर्तमान प्रचलित रूप 1980 से चलन में है.

यही यह भी बता दूं कि  अगर यह बदलाव हो गया तो अपने राष्ट्रगान में बदलाव करने वाला कनाडा पहला देश नहीं होगा. द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जर्मनी ने अपने राष्ट्रगान में बदलाव किया था, तो सद्दाम हुसैन के पराभव के बाद इराक़ ने भी ऐसा ही  किया. रंगभेद खत्म कर देने के बाद दक्षिण अफ्रीका ने अपने राष्ट्रगान में बदलाव किया तो सोवियत संघ के पतन के बाद रूस के राष्ट्रगान में बदलाव किया गया. बाद में सन 2000 में व्लादीमिर पुतिन ने फिर से पुराने राष्ट्रगान  को अपना लिया लेकिन मूल के एक पद को छोड़ दिया. हाल में सन 2012 में ऑस्ट्रिया ने भी अपने राष्ट्रगान के पहले छन्द में थोड़ा बदलाव करते हुए बेटों के साथ बेटियों को भी जोड़ लिया. स्विटज़रलैण्ड में इस आलोचना के बाद कि वहां का राष्ट्रगान कुछ अधिक ही धार्मिक है, एक सार्वजनिक प्रतियोगिता के द्वारा ज़्यादा आधुनिक शब्दावली वाला गीत तलाश किया गया. एक विजेता घोषित भी कर दिया गया लेकिन स्विस सरकार ने अभी तक इस बदलाव पर मतदान नहीं कराया है.

अब देखना है कि कनाडा में यह बदलाव हो पाता है या नहीं. फिलहाल तो वहां बहसों का बाज़ार गर्म है.

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जयपुर से प्रकाशित लोकप्रिय अपराह्न दैनिक न्यूज़ टुडै में मेरे साप्ताहिक कॉलम कुछ इधर कुछ उधर के अंतर्गत मंगलवार, 07 जून, 2016 को इसी शीर्षक से प्रकाशित आलेख का मूल पाठ.