Tuesday, May 3, 2016

‘बुनियादी’ उर्फ़ आओ लौट चलें आदिम युग की ओर

अगले महीने से सेण्ट्रल लंदन में किसी  अज्ञात स्थान  पर एक नया रेस्तरां खुलने जा रहा है. रेस्तरां बहुत बड़ा नहीं है. मात्र बयालीस लोग उसमें बैठ सकेंगे. लेकिन उत्सुकता का आलम  यह है कि ये पंक्तियां लिखे जाने तक तीस हज़ार लोग उसकी प्रतीक्षा सूची में अपने नाम लिखवा चुके हैं. और यह तब है जबकि यह पहले से बता दिया गया है कि वह रेस्तरां मात्र तीन महीनों के लिए खोला जा रहा है यानि कुल मिलाकर चार हज़ार से भी कम लोग उसमें भोजन करने का अवसर पा सकेंगे.

इस रेस्तरां को संचालित करने वाली  कम्पनी लॉलीपॉप के संस्थापक सेब लायल का कहना है कि वे चाहते हैं कि लोगों को बग़ैर किसी मिलावट के एक शाम का लुत्फ़ लेने का मौका दिया जाना चाहिए. एक ऐसी शाम जहां वर्तमान औद्योगिक सभ्यता का  कोई ताम-झाम मौज़ूद न हों. यानि खाने में न कोई रसायन हों, न कृत्रिम रंग, और न उसे गैस वगैरह  पर पकाया जाए;  न  बिजली की चौंधियाने वाली रोशनी हो, न आपकी निजता में घुसपैठ करती मोबाइल की घण्टियां, और ..... और सबसे ख़ास बात, अगर आप  चाहें तो वस्त्र भी न हों! इस ‘वस्त्र एच्छिक’ (क्लोद्स  ऑप्शनल)  रेस्तरां के दो खण्ड होंगे, एक वस्त्रों वाला और दूसरा ‘प्योर’. इस प्योर सेक्शन में जाकर भोजन करने के लिए आपको पूरी तरह निर्वस्त्र होना होगा. रेस्तरां में कपड़े उतारने के लिए निर्धारित स्थान होगा,  गाउन उपलब्ध कराए जाएंगे और आपके कपड़ों को सुरक्षित रखने के लिए लॉकर्स की सुविधा भी होगी.  यह तो कहना अनावश्यक ही है कि इस रेस्तरां में फोटोग्राफी पूरी तरह वर्जित होगी. सेब लायल के अनुसार इस रेस्तरां को खोलने  के पीछे असल विचार यह है लोग सच्ची आज़ादी का अनुभव कर सकें.

योजना यह है कि जैसे ही आप रेस्तरां में पहुंचेंगे, आपको एक चेंजिंग रूम तक ले जाया जाएगा और फिर एक गाउन देकर कहा जाएगा कि आप अपने पहने हुए वस्त्रादि एवम अन्य सामान लॉकर में सुरक्षित रख दें. इसके बाद आपको यह विकल्प होगा कि जो न्यूनतम वस्त्र आपने अपने शरीर पर बचा रखे हैं,  खाने की टेबल पर जाने से पहले  उनका भी परित्याग कर दें. हर अतिथि की टेबल और दूसरे अतिथि की टेबल के बीच बांस और खपच्चियों  का बना झीना-सा  पर्दा होगा जिससे आपकी निजता बनी रहे. मोमत्तियों का उजाला केवल इतना होगा कि आपको अन्य लोगों की छाया-आकृति ही  नज़र आ सकेगी. अपने वस्त्रों का आपने भले ही परित्याग कर दिया हो, काफी बड़े आकार के नैपकिन्स  आपको सुलभ कराए जाएंगे ताकि गरमागरम खाने से आपका बचाव हो सके. और इसी तरह, संक्रमण से बचाव को ध्यान में रखते हुए यह इंतज़ाम  भी रहेगा  कि भोजन करने वालों की देह और कुर्सियों का सीधा सम्पर्क न हो.

और हां, वहां वेटर्स वगैरह भी न्यूनतम वस्त्रों में ही होंगे. अलबत्ता स्वच्छता का लिहाज़ करते हुए खाना बनाने वालों को कपड़े पहने रहने की अनुमति होगी.  इस रेस्तरां का नाम, हम हिन्दी भाषी  लोग  लोग चाहें  तो इस बात पर अतिरिक्त खुशी हासिल कर सकते हैं, ‘बुनियादी’  होगा. बुनियादी यानि आधारभूत यानि प्राकृतिक. और इसलिए यहां जो भोजन परोसा जाएगा वो भी इसी तरह का होगा. वेगन खाद्य के अलावा यहां ग्रिल्ड मीट होगा जिसे लकड़ी की आंच पर (न कि बिजली या गैस पर) पकाया जाएगा और परोसा भी उसे हाथ से बने मिट्टी के बर्तनों में ही जाएगा. खाना-खाने के लिए आपको जो चम्मच-छुरी-कांटे वगैरह  दिये जाएंगे वो खाद्य सामग्री के ही बने हुए होंगे यानि आप उन्हें भी खा सकेंगे.  रसोईघर में प्लास्टिक  और धातु  के पदार्थ पूरी तरह वर्जित रहेंगे. रेस्तरां का फर्नीचर केवल लकड़ी से बना  होगा और निहायत  प्राकृतिक नज़र आएगा. सेब लायल का कहना है कि उनका विचार यह नहीं है कि आप निर्वस्त्र होकर भोजन करें, बल्कि असल विचार तो यह है कि यह पूरा अनुभव आपको आधारभूत अनुभव की प्रतीति कराए, यानि आपको लगे कि आप उस आदिम काल खण्ड में लौट गए हैं जहां केवल निहायत ज़रूरी साजो-सामान हुआ करता था. 

और जहां तक निर्वस्त्र होकर भोजन करने की बात है, सेब लायल मानते हैं कि दरअसल उनका यह रेस्तरां-प्रयोग नग्नता के बारे में समाज के वर्तमान  सोच को चुनौती देने के लिए है. वर्तमान समाज कपड़े उतारने को विद्रोह का पर्याय मान बैठा है, जबकि मनुष्य अकसर निर्वस्त्र होता ही रहता है. जब आप बिस्तर पर जाते हैं तब भी निर्वस्त्र होते हैं और जब किसी समुद्र तट  पर जाते हैं या सोना बाथ लेते हैं तब भी अपने कपड़े उतारते हैं.  यानि यह कोई अस्वाभाविक और चौंकाने वाली बात है ही नहीं.  

अब देखना है कि साठ ब्रिटिश पाउण्ड मूल्य वाले  इस अनूठे फाइव कोर्स भोजन का लोग कितना आनंद लेते हैं!   

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जयपुर से प्रकाशित लोकप्रिय अपराह्न दैनिक न्यूज़ टुडै में मेरे साप्ताहिक कॉलम कुछ इधर कुछ उधर के अंतर्गत मंगलवार, 03 मई, 2016 को इसी शीर्षक से प्रकाशित आलेख का मूल पाठ. 
अगले महीने से सेण्ट्रल लंदन में किसी  अज्ञात स्थान  पर एक नया रेस्तरां खुलने जा रहा है. रेस्तरां बहुत बड़ा नहीं है. मात्र बयालीस लोग उसमें बैठ सकेंगे. लेकिन उत्सुकता का आलम  यह है कि ये पंक्तियां लिखे जाने तक तीस हज़ार लोग उसकी प्रतीक्षा सूची में अपने नाम लिखवा चुके हैं. और यह तब है जबकि यह पहले से बता दिया गया है कि वह रेस्तरां मात्र तीन महीनों के लिए खोला जा रहा है यानि कुल मिलाकर चार हज़ार से भी कम लोग उसमें भोजन करने का अवसर पा सकेंगे.

इस रेस्तरां को संचालित करने वाली  कम्पनी लॉलीपॉप के संस्थापक सेब लायल का कहना है कि वे चाहते हैं कि लोगों को बग़ैर किसी मिलावट के एक शाम का लुत्फ़ लेने का मौका दिया जाना चाहिए. एक ऐसी शाम जहां वर्तमान औद्योगिक सभ्यता का  कोई ताम-झाम मौज़ूद न हों. यानि खाने में न कोई रसायन हों, न कृत्रिम रंग, और न उसे गैस वगैरह  पर पकाया जाए;  न  बिजली की चौंधियाने वाली रोशनी हो, न आपकी निजता में घुसपैठ करती मोबाइल की घण्टियां, और ..... और सबसे ख़ास बात, अगर आप  चाहें तो वस्त्र भी न हों! इस ‘वस्त्र एच्छिक’ (क्लोद्स  ऑप्शनल)  रेस्तरां के दो खण्ड होंगे, एक वस्त्रों वाला और दूसरा ‘प्योर’. इस प्योर सेक्शन में जाकर भोजन करने के लिए आपको पूरी तरह निर्वस्त्र होना होगा. रेस्तरां में कपड़े उतारने के लिए निर्धारित स्थान होगा,  गाउन उपलब्ध कराए जाएंगे और आपके कपड़ों को सुरक्षित रखने के लिए लॉकर्स की सुविधा भी होगी.  यह तो कहना अनावश्यक ही है कि इस रेस्तरां में फोटोग्राफी पूरी तरह वर्जित होगी. सेब लायल के अनुसार इस रेस्तरां को खोलने  के पीछे असल विचार यह है लोग सच्ची आज़ादी का अनुभव कर सकें.

योजना यह है कि जैसे ही आप रेस्तरां में पहुंचेंगे, आपको एक चेंजिंग रूम तक ले जाया जाएगा और फिर एक गाउन देकर कहा जाएगा कि आप अपने पहने हुए वस्त्रादि एवम अन्य सामान लॉकर में सुरक्षित रख दें. इसके बाद आपको यह विकल्प होगा कि जो न्यूनतम वस्त्र आपने अपने शरीर पर बचा रखे हैं,  खाने की टेबल पर जाने से पहले  उनका भी परित्याग कर दें. हर अतिथि की टेबल और दूसरे अतिथि की टेबल के बीच बांस और खपच्चियों  का बना झीना-सा  पर्दा होगा जिससे आपकी निजता बनी रहे. मोमत्तियों का उजाला केवल इतना होगा कि आपको अन्य लोगों की छाया-आकृति ही  नज़र आ सकेगी. अपने वस्त्रों का आपने भले ही परित्याग कर दिया हो, काफी बड़े आकार के नैपकिन्स  आपको सुलभ कराए जाएंगे ताकि गरमागरम खाने से आपका बचाव हो सके. और इसी तरह, संक्रमण से बचाव को ध्यान में रखते हुए यह इंतज़ाम  भी रहेगा  कि भोजन करने वालों की देह और कुर्सियों का सीधा सम्पर्क न हो.

और हां, वहां वेटर्स वगैरह भी न्यूनतम वस्त्रों में ही होंगे. अलबत्ता स्वच्छता का लिहाज़ करते हुए खाना बनाने वालों को कपड़े पहने रहने की अनुमति होगी.  इस रेस्तरां का नाम, हम हिन्दी भाषी  लोग  लोग चाहें  तो इस बात पर अतिरिक्त खुशी हासिल कर सकते हैं, ‘बुनियादी’  होगा. बुनियादी यानि आधारभूत यानि प्राकृतिक. और इसलिए यहां जो भोजन परोसा जाएगा वो भी इसी तरह का होगा. वेगन खाद्य के अलावा यहां ग्रिल्ड मीट होगा जिसे लकड़ी की आंच पर (न कि बिजली या गैस पर) पकाया जाएगा और परोसा भी उसे हाथ से बने मिट्टी के बर्तनों में ही जाएगा. खाना-खाने के लिए आपको जो चम्मच-छुरी-कांटे वगैरह  दिये जाएंगे वो खाद्य सामग्री के ही बने हुए होंगे यानि आप उन्हें भी खा सकेंगे.  रसोईघर में प्लास्टिक  और धातु  के पदार्थ पूरी तरह वर्जित रहेंगे. रेस्तरां का फर्नीचर केवल लकड़ी से बना  होगा और निहायत  प्राकृतिक नज़र आएगा. सेब लायल का कहना है कि उनका विचार यह नहीं है कि आप निर्वस्त्र होकर भोजन करें, बल्कि असल विचार तो यह है कि यह पूरा अनुभव आपको आधारभूत अनुभव की प्रतीति कराए, यानि आपको लगे कि आप उस आदिम काल खण्ड में लौट गए हैं जहां केवल निहायत ज़रूरी साजो-सामान हुआ करता था. 

और जहां तक निर्वस्त्र होकर भोजन करने की बात है, सेब लायल मानते हैं कि दरअसल उनका यह रेस्तरां-प्रयोग नग्नता के बारे में समाज के वर्तमान  सोच को चुनौती देने के लिए है. वर्तमान समाज कपड़े उतारने को विद्रोह का पर्याय मान बैठा है, जबकि मनुष्य अकसर निर्वस्त्र होता ही रहता है. जब आप बिस्तर पर जाते हैं तब भी निर्वस्त्र होते हैं और जब किसी समुद्र तट  पर जाते हैं या सोना बाथ लेते हैं तब भी अपने कपड़े उतारते हैं.  यानि यह कोई अस्वाभाविक और चौंकाने वाली बात है ही नहीं.  

अब देखना है कि साठ ब्रिटिश पाउण्ड मूल्य वाले  इस अनूठे फाइव कोर्स भोजन का लोग कितना आनंद लेते हैं!   
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