Tuesday, April 26, 2016

जो हमें समझ न आए उस कर्म की भी कोई सार्थकता हो सकती है

उसका नाम है क्रिस सेवियर. संयुक्त राज्य अमरीका के टेनेसी इलाके के इस  निवासी ने ह्यूस्टन की संघीय अदालत में एक अजीबोगरीब वाद प्रस्तुत किया है. उसकी शिकायत है कि वो अपनी 2011 मॉडल की मैकबुक (लैपटॉप) से शादी करना चाहता है लेकिन हैरिस काउण्टी (यानि ज़िला) ने उसे विवाह का लाइसेंस  प्रदान करने से मना कर दिया है. इस तरह उसे उसके विवाह करने के अधिकार से वंचित किया गया है. क्रिस ने यह वाद अपनी काउण्टी के डिस्ट्रिक्ट क्लर्क, गवर्नर और अटॉर्नी जनरल के खिलाफ प्रस्तुत किया है. क्रिस  ने इसी तरह के वाद दो और संघीय अदालतों में प्रस्तुत किये हैं और उनकी योजना बारह और अदालतों में ऐसे ही वाद प्रस्तुत करने की है. ऐसा वे इस उम्मीद में कर रहे हैं कि कम से कम दो अदालतें तो उनके पक्ष में फैसला देंगी.  उनका कहना है कि ये वाद वे इसलिए प्रस्तुत कर रहे हैं ताकि सही हक़ीक़त सामने आ सके. असल में इन वादों के माध्यम से वे अमरीकी सर्वोच्च न्यायालय के जून माह के उस ऐतिहासिक फैसले का विरोध   करना चाह रहे हैं जिसने समान-सेक्स विवाहों को वैध करार दिया था. इसे यों भी समझा जा सकता है कि अपने इन वादों के माध्यम से क्रिस अपने देश के न्यायालयों को यह धमकी देना चाह रहे हैं कि वे यह स्वीकार कर लें कि उन्होंने समान सेक्स के बीच विवाह की अनुमति देने का जो फैसला  दिया है वह  नैतिक रूप से दोषपूर्ण है, और अगर वे यह मानने को तैयार नहीं हैं और अपने निर्णय पर अडिग हैं तो फिर  उन्हें भी एक महंगी मशीन के साथ विवाह बन्धन में बंधने की अनुमति प्रदान कर दें.

खुद को क्रिश्चियन बताने वाले और इलेक्ट्रॉनिक संगीत के प्रस्तुतकर्ता क्रिस का कहना है कि उनका यह वाद न तो बेहूदा है और न ही व्यंग्यात्मक, लेकिन वे यह अवश्य मानते हैं कि  अमरीकी सर्वोच्च  न्यायालय के इस फैसले ने संविधान का ही अपहरण कर डाला है, और इसलिए इस वाद के माध्यम से वे यह कहते हुए कि समान सेक्स वाले दो व्यक्तियों के बीच विवाह ठीक वैसी ही बात है जैसी मनुष्य और मशीन के बीच विवाह, एक कर्कश तर्क प्रस्तुत कर रहे हैं. “सवाल यह है कि क्या हमारी नीतियां ऐसी होनी चाहिएं जो इस तरह की जीवन शैली  को प्रोत्साहित करें? सरकार लोगों को इस तरह की जीवन शैली अपनाने के लिए प्रोत्साहित करके किसी का भी भला नहीं कर रही है. ज़रूरत इस बात की है कि हम विवाह को ठीक से  परिभाषित करें.” यह कहना है क्रिस का. 

स्वाभाविक है कि क्रिस के ये तर्क बहुतों के गले नहीं उतरे हैं और उन्होंने अपनी-अपनी तरह से इनका विरोध किया है. टेक्सस राज्य के रिपब्लिकन स्टेट अटॉर्नी जनरल पेक्सटन ने संघीय जज महोदय से अनुरोध किया है कि वे इस वाद को अस्वीकृत कर दें. उनका तर्क है कि समान-सेक्स विवाह की अनुमति देने वाला अमरीकी सर्वोच्च न्यायालय का निर्णय मानव और मानवेतरों यानि मनुष्य और मशीनों पर लागू नहीं होता है. टेक्सस के ही एक गे  मैट वुल्फ जो इसी वर्ष अपने साथी से विवाह करने वाले हैं, का भी कहना है कि वो हर तर्क जो दो सामान्य प्रेम करने वाले मानवों के बीच समानता और सहमति के आधार पर होने वाले विवाह की तुलना किसी और से करके उसका विरोध करना चाहता है, ग़लत है. उनका मानना है कि इस तरह के विरोधी तर्क व्यक्ति विशेष के भय और सोचे समझे अज्ञान पर आधारित हैं. 

इस वाद और विवाद पर अमरीकी अदालतें क्या फैसला देती हैं यह तो आने वाला समय ही बताएगा, लेकिन इस बीच यह जान लेना भी रोचक होगा कि क्रिस नामक यह व्यक्ति पहले भी अजीबोगरीब हरकतें करता रहा है. तीन बरस पहले उसने अमरीका की उसी विख्यात कम्प्यूटर निर्माता कम्पनी पर एक दावा ठोका था जो मैकबुक बनाती है. अपनी पचास पन्नों की शिकायत में क्रिस ने कहा था कि इस कम्पनी के उत्पादों में वे तमाम सुरक्षा इंतज़ामात नहीं हैं जो अवांछित अश्लील सामग्री के हमलों से उनके उपयोगकर्ताओं को बचा  सकें. क्रिस का कहना था कि इस तरह की अश्लील सामग्री खुद उसके जीवन को विषाक्त कर चुकी है. उन्होंने अदालत से अनुरोध किया था कि वे कम्पनी को पाबन्द करे कि  वो अपने उत्पाद इस तरह के सुरक्षा प्रावधानों के बाद ही बेचेगी.

पहली नज़र में भले ही क्रिस जैसे लोगों के ये कृत्य ऊल जुलूल लगें, यह नहीं भूला जाना चाहिए कि दुनिया में बहुत सारे सकारात्मक बदलावों का सूत्रपात  ऐसे ही कृत्यों से हुआ है.   
  
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जयपुर से प्रकाशित लोकप्रिय अपराह्न दैनिक न्यूज़ टुडै में मेरे साप्ताहिक कॉलम कुछ इधर कुछ उधर के अन्तर्गत मंगलवार, दिनांक 26 अप्रेल, 2016 को  जो हमें समझ न आए उस कर्म की भी हो सकती है कोई सार्थकता शीर्षक से प्रकाशित आलेख का मूल पाठ.