सुदूर तुर्कमेनिस्तान में वहां के
राष्ट्रपति महोदय ने पूरे-दमखम के साथ अपने देश को स्वस्थ बनाने का एक अभियान
छेड़ रखा है. सारी सरकार फिटनेस का प्रचार करने और देश को धूम्रपान मुक्त
बनाने के प्रयासों में जुटी है. विश्व स्वास्थ्य संगठन तक ने सरकार के इस प्रयास
को सराहा है और देश में धूम्रपान घटाने के प्रयासों की सराहना स्वरूप एक प्रमाण
पत्र भी प्रदान किया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अध्यक्ष के पास खड़े मुस्कुराते
हुए राष्ट्रपति महोदय की एक तस्वीर जिसमें उन्होंने उक्त प्रमाण पत्र और एक मेडल
हाथ में ले रखा है, पूरे देश में हर कहीं देखी
जा सकती है. लगता है जैसे राष्ट्रपति
महोदय अपने अदृश्य विरोधियों से कह रहे हैं कि देख लो, अब तो
अंतर्राष्ट्रीय संस्था ने भी हमारे
प्रयासों को मान्यता दे दी है!
तो क्या राष्ट्रपति महोदय
को इस नेक काम के लिए भी अपने विरोधियों की आलोचनाओं का शिकार होना पड़ रहा है? जिन्हें
तुर्कमेनिस्तान के बारे में तनिक भी जानकारी है वे इस बात से भली-भांति परिचित
होंगे कि इस देश की गणना दुनिया के सबसे अधिक दमनात्मक देशों में होती है और वहां
के वर्तमान राष्ट्रपति गुरबानगुली बेर्दीमुहम्मदोव का मानवाधिकार विषयक रिकॉर्ड यह
है कि उनके शासन काल में यह देश इस लिहाज़ से दुनिया के निकृष्टतम देशों में शुमार किया जाने लगा है. लेकिन
राष्ट्रपति महोदय नहीं चाहते कि कोई उनके देश में हो रहे मानवाधिकारों के हनन पर बात तक करे. वे इस मुद्दे पर भी कोई
चर्चा करना पसंद नहीं करते कि क्यों उनके आलोचक जेलों से अचानक ‘गायब’ हो जाते हैं. तो ऐसे राष्ट्रपति महोदय ने अपने
देश को स्वस्थ बनाने का यह अभियान चला रखा है और देशवासियों को उनका स्पष्ट संदेश
है कि या तो वे उनके अभियान को खुशी-खुशी स्वीकार कर लें और या फिर अपने मुंह बंद
रखें. भय उनकी शासन शैली का सबसे मुख्य तत्व है. एक विदेशी पत्रकार ने लिखा है कि
उसने तुर्कमेनिस्तान की राजधानी की खूब चौड़ी लेकिन सुनसान सड़कों का दौरा किया और पाया कि खूबसूरत फव्वारों से
सजी संगमरमर की खूबसूरत इमारतों वाले उस
शहर की सारी सड़कें सुनसान पड़ी थीं. लेकिन इसके बावज़ूद उसे लगा कि उसकी हर गतिविधि
पर नज़र रखी जा रही थी. जैसे ही उसने तस्वीरें लेने के वास्ते अपना कैमरा निकाला,
जाने कहां से वाकी-टॉकी
थामे एक अधिकारी प्रकट हुआ और उसने स्थानीय भाषा में उस पर अपनी नाराज़गी का इज़हार
किया और वहां से नौ दो ग्यारह हो जाने को कहा.
पत्रकार कहता है कि उसका लहज़ा ऐसा था कि मेरे पास उसके आदेश का पालन करने
के सिवा और कोई चारा ही नहीं था.
ऐसे राष्ट्रपति महोदय ने वहां
‘हेल्थ एण्ड हैप्पीनेस’ का यह जो अभियान चला रखा है
उसकी सराहना और समर्थन की ही आवाज़ें और छवियां सामने आती हैं. ज़ाहिर है कि इससे
भिन्न की न किसी को इजाज़त है और न किसी की हिम्मत. हाल में वहां स्वास्थ्य माह
मनाया गया जिसमें सरकारी कर्मचारी सार्वजनिक जगहों पर प्रात:कालीन व्यायाम करते
प्रदर्शित किये गए, सरकारी टेलीविज़न पर मज़दूरों, बाबुओं, अफसरों और संसद और मंत्रालय के कर्मचारियों
को ‘उत्साहपूर्वक’ इस अभियान में
भागीदारी करते बार-बार दिखाया गया. यह
जानने की कोशिश करना बेमानी होगा कि क्या यह सब वे स्वेच्छा से कर रहे थे? सरकारी टीवी पर खुद राष्ट्रपति
महोदय को स्वास्थ्य प्रचार रैलियों में
साइकिल चलाते और जिम में कसरत करते दिखाया जाता है और आम लोग राष्ट्रपति जी की मंशा की सराहना करते नहीं
थकते हैं. टीवी पर विदेशी सिगरेटों की होली जलाने के दृश्य भी खूब दिखाये जाते
हैं.
तुर्कमेनिस्तान के अतीत से
परिचित लोग इन राष्ट्रपति महोदय का एक प्रसंग अकसर दबी ज़ुबान से सुनाते हैं.
राष्ट्रपति जी घुड़दौड़ के शौकीन ही नहीं हैं, यदा-कदा वे खुद इसमें हिस्सा भी
लेते हैं. कई बरस पहले ऐसी ही एक घुड़दौड़ में जब वे हिस्सा ले रहे थे तो घोड़ा गिर
पड़ा और उस पर सवार महामहिम भी धरती पर गिर पड़े. सारा मंज़र कैमरों में कैद हो रहा
था. अचानक एक सुरक्षा अधिकारी खड़ा हुआ और चिल्लाकर बोला, कैमरे
बंद कर दें. इसके बाद वहां मौज़ूद सभी छायाकारों के कैमरों को खंगाला गया, और इस रिकॉर्डिंग को मिटाने के
बाद ही उन्हें वहां से जाने दिया गया. इसके बाद टीवी पर मात्र यह दिखाया गया कि
महामहिम ने एक रेस में भाग लिया था. इन दिनों तुर्कमेनिस्तान में इस प्रसंग का
ज़िक्र इस टिप्पणी के साथ किया जाता है कि जैसे इस खबर में से एक अप्रिय प्रसंग को
काट कर इसे दिखाया गया उसी तरह आजकल वहां के कुरूप यथार्थ की छवियों को मिटाकर इस स्वास्थ्य
अभियान को प्रचारित किया जा रहा है.
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जयपुर से प्रकाशित लोकप्रिय अपराह्न दैनिक न्यूज़ टुडै में मेरे साप्ताहिक कॉलम कुछ इधर कुछ उधर के अंतर्गत मंगलवार, 13 दिसम्बर, 2016 को इसी शीर्षक से प्रकाशित आलेख का मूल पाठ.
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