बहुत सारी फिल्मों और टीवी प्रोग्रामों को
देखते हुए क्या आपको भी ऐसा लगता है कि इनको क्यों बनाया गया है और कोई औसत बुद्धि वाला इंसान भी इन्हें कैसे देख या झेल
सकता है! उनका तर्कातीत होना, ऊल जुलूल होना, मूर्खतापूर्ण होना और अशालीन होना
जैसे महज़ यह परखने लिए होता है कि उन्हें
देखते हुए आप अपना धैर्य खोते हैं
या नहीं! लेकिन जिन चीज़ों को देखते हुए आप कुढ़ते-चिढ़ते हैं उनका भी एक वफ़ादार
दर्शक समुदाय होता है. अगर न हो तो उन्हें बनाया ही न जाए! जो लोग इस तरह की
फिल्में या प्रोग्राम बनाते हैं उनकी नज़रें बॉक्स ऑफिस या टी आर पी पर टिकी होती
हैं. अगर आप मनोरंजन की दुनिया के निकट अतीत को खंगालें तो पाएंगे कि इस तरह की
निर्मितियों की अतार्किकता और बेहूदगी घटने की बजाय बढ़ी ही है. जो चीज़ दस-पाँच बरस
पहले कल्पनातीत थी आज वह इतनी आम हो चुकी है कि आपको चौंकाती तक नहीं है. क्या पता
कि इन्हें बनाने वालों का संकट यह हो कि सामान्य की तो सारी सम्भावनाएं चुक गई
हैं, इसलिए अब उन्हें असामान्य का ही रुख करना है.
इधर ब्रिटेन से एक ख़बर यह आई है कि वहां के एक लोकप्रिय चैनल
पर जो कि नई तरह के कार्यक्रम प्रस्तुत करने के जुनून में सीमाएं लांघ जाने के लिए
जाना जाता है, एक नया शो लाया जा रहा है. इस शो का नाम है ‘साइंस ऑफ
अट्रेक्शन’ यानि आकर्षण का विज्ञान. लेकिन
कहते हैं न कि नाम में क्या रखा है? असल बात तो है शो की विषय वस्तु. तो यह एक
डेटिंग शो होगा, लेकिन इसके निर्माताओं का कहना है कि यह अब तक के तमाम डेटिंग
शो’ज़ से नितान्त भिन्न होगा. अब यह भी जान
लीजिए कि इसमें भिन्न क्या होगा? इस शो के शुरु में आठ युवा स्त्री-पुरुषों को एक
सी-थ्रू बक्से में रखा जाएगा! नयापन यह होगा कि ये सबके सब एकदम निर्वस्त्र होंगे!
इन आठ में से एक स्त्री और एक पुरुष वे होंगे जिन्हें शेष छह में से अपने लिए
एक-एक साथी का चयन करना है. इस शो का शीर्षक तो सम्मानजनक है ही, इसे और गरिमा प्रदान करने के
लिए इसमें एक साइकोलॉजिस्ट को भी शामिल
किया गया है जो प्रतियोगियों का मनोविश्लेषण प्रस्तुत कर इस शो में बौद्धिकता का
तड़का लगाएगा. चुनाव करने वाले स्त्री-पुरुष एक-एक करके प्रतियोगियों को
भिन्न-भिन्न मापदंडों पर परखते हुए खारिज
करते जाएंगे और अंत में जब इन दोनों के
लिए एक-एक साथी बच रहेगा तो ये उसके साथ डेट पर चले जाएंगे. यह पूरा शो कुल तीन राउण्ड्स में होगा. पहले
राउण्ड की तो चर्चा हो ही चुकी है. दूसरे
राउण्ड में प्रतियोगियों को वस्त्र धारण करने होंगे और फिर उनका आकलन उनके ड्रेस
सेंस के आधार पर होगा. तीसरे और अंतिम दौर में प्रतियोगी अपने-अपने बारे में
बताएंगे और इस आधार पर उनके व्यक्तित्वों का विश्लेषण किया जाएगा. जिन दो
प्रतिभागियों को अपने लिए साथी चुनने हैं वे भी अपनी बात कहेंगे और बताएंगे कि
किसी को वे क्यों पसन्द या नापसन्द कर रहे हैं.
इस शो की विषय वस्तु के आधार पर यह अनुमान
भी लगाया जा रहा है कि शायद इसका नाम ‘साइंस ऑफ अट्रेक्शन’ न होकर ‘नेकेड अट्रेक्शन’ रहे. इस अनुमान का एक आधार यह भी है कि अमरीका
में ‘डेटिंग नेकेड’ शीर्षक वाला एक शो
काफी कामयाब रह चुका है. लोकप्रिय तो ‘ब्लाइण्ड डेट’ शीर्षक कार्यक्रम भी काफी रहा है लेकिन जिस शो की
हम चर्चा कर रहे हैं उसके निर्माताओं का
दावा है कि उनका यह शो अब तक का सबसे अनूठा शो होगा. कहना अनावश्यक है कि अपने शो
को अनूठा बनाने के क्रम में वे नग्नता और अश्लीलता से कोई दूरी नहीं बरतेंगे. अभी
तक इस शो के जो प्रोमोज़ जारी हुए हैं उनसे भी इस बात की पुष्टि होती है. और जैसे
इतना ही पर्याप्त न हो, निर्माताओं की तरफ से यह भी कहा जा चुका है कि इस शो में
गे और लेस्बियन प्रतिभागियों पर भी एपिसोड होंगे.
सुखद आश्चर्य की बात यह है कि भले ही इस
शो का निर्माण प्रारम्भ हो चुका है, निर्माताओं को इसके लिए आठ प्रतिभागी जुटाने
में भी काफी मशक्कत करनी पड़ रही है. वे सोशल
मीडिया पर लोगों को पुकार रहे हैं लेकिन लोग हैं कि अपनी गरिमा को दांव पर
लगाने को तैयार नहीं हैं. लेकिन देर-सबेर प्रोग्राम तो बनेगा ही. मुझे फिक्र इस
बात की सता रही है कि हमारे अपने देशी निर्माता जो हर विदेशी प्रोग्राम की नकल
करने को आतुर रहते हैं, उन्हें इस प्रोग्राम से ‘प्रेरणा ग्रहण’ करने से कौन
रोकेगा, और कब तक?
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जयपुर से प्रकाशित लोकप्रिय अपराह्न दैनिक न्यूज़ टुडै में मेरे साप्ताहिक कॉलम कुछ इधर कुछ उधर के अंतर्गत मंगलवार, 05 अप्रेल, 2016 को इसी शीर्षक से प्रकाशित आलेख का मूल पाठ.
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