Tuesday, May 5, 2015

तू डाल-डाल मैं पात-पात

फेसबुक जैसे सोशल मीडिया पर हमारे बहुत सारे मित्रों को यह शिकायत रहती है कि वहां उनकी तुलना में महिलाओं को अधिक अहमियत  मिलती है. कई लोगों ने तो बाकायदा आंकड़े देकर यह बात साबित करने की कोशिश की है.  उनका कहना है अगर वे कोई रचना या टिप्पणी पोस्ट करते हैं तो  उसे जितना सराहा जाता है उससे कई गुना वैसी ही या उससे बहुत हल्की उस टिप्पणी को सराहा जाता है जिसे किसी महिला ने पोस्ट किया होता है. प्रोफाइल पिक्चर्स के मामले में तो ऐसा और भी अधिक होता है. आप किसी भी महिला के नए  प्रोफाइल पिक्चर पर आई हुई टिप्पणियों को देखकर इस बात की पुष्टि  कर सकते हैं.  लेकिन  इस तरह ‘लाइक्स’ और प्रशांसात्मक टिप्पणियों की गिनती कर महिलाओं से ईर्ष्या  करने वाले लोग इस बात को नज़र अन्दाज़ कर जाते हैं कि घर परिवार बाज़ार गली मोहल्ले की ही तरह सायबर स्पेस में भी महिलाओं को बहुत सारी बदतमीजियों का और बदसुलूकियों का सामना करना पड़ता है. शालीन सराहना की शब्दावली कब अश्लील हो जाती है, और प्रशंसा कब अनचाहे प्रणय प्रस्ताव में तब्दील हो जाती है और महिला का एक नकार कब उसके प्रताड़न का प्रस्थान बिन्दु बन जाता है, पता ही नहीं चलता है. हम आये दिन अश्लील संदेशों, अभद्र छवियों और किसम किसम के अवांछित बर्तावों के बारे में पढ़ते रहते हैं. हमारी बहुत सारी साहित्यिक मित्र भी इस बात की पुष्टि कर सकती हैं कि ऐसा करने वाले कम पढ़े लिखे और संस्कार विहीन लोग ही नहीं हैं, वे भी हैं जो अपने पद, वय और अपनी सामाजिक-सांस्कृतिक हैसियत की वजह से समाज में सम्मानजनक बने हुए हैं.

और दुर्भाग्य की बात यह कि ऐसा केवल हमारे देश में ही नहीं होता है. अभी हाल ही में मैं एक प्रतिष्ठित विदेशी अखबार का ऑनलाइन संस्करण देख रहा था तो मुझे यह जानकर खासा आश्चर्य हुआ कि अमरीका जैसे  देश में भी, जहां स्त्री-पुरुष के मिलने-जुलने पर हमारे देश जैसे सांस्कृतिक अवरोध चलन में नहीं हैं, यह  सब कुछ होना आम है. वहां मैंने पढ़ा कि इकत्तीस साला एशले ब्राइन्सफील्ड नामक एक कस्टम इंस्पेक्टर ने जैसे ही एक डेटिंग साइट टिण्डर पर अपना खाता बनाया, उन्हें न सिर्फ अभद्र  संदेश मिलने लगे, विवाहित पुरुषों तक ने उनसे यौन सम्बन्ध बनाने की पेशकश कर डाली. कई पुरुषों ने तो उन्हें अपनी निर्वसन सेल्फियां भी भेज दीं. एशले ने वही किया जो कोई भी अन्य स्त्री करती. उन्होंने ऐसे लोगों को ब्लॉक किया, या उनकी  शिकायत टिण्डर प्रशासन से  की. लेकिन इससे भी उनकी समस्या हल नहीं हुई. जैसे ही वे कोई कदम उठातीं, ये लफंगे किसी और स्क्रीन नाम से उन्हें तंग करने लग जाते. तंग आकर उन्होंने एक और रास्ता अख्तियार किया. उन्होंने अपने नाम आए आपत्तिजनक संदेशों के  स्क्रीन शॉट्स लिये और उन पर ‘टिण्डर आपकी वैवाहिक समस्याओं का हल नहीं है’ या इसी तरह के अन्य संदेश सुपर इम्पोज करके उन्हें अपने प्रोफाइल पन्ने पर पोस्ट कर उन बदमाशों को लज्जित करना शुरु किया. एशले का कहना है कि अगर वे उन्हें ऐसे ही तंग करते रहेंगे तो वे भी उन्हें लज्जित करती रहेंगी.

लॉस एंजिलस की अलेक्ज़ेण्ड्रा ट्वेटन के साथ भी कुछ ऐसा ही घटित हुआ. इस 27 वर्षीय महिला को ओके क्युपिड और दूसरी अनेक साइट्स पर जब पुरुषों की तरफ से मिलने वाले अश्लील संदेशों का सिलसिला उनके सारे प्रयत्नों से भी नहीं रुका, तो उन्होंने इंस्टाग्राम पर बाय फेलिपे जैसे अवमाननासूचक नाम वाले अपने खाते पर ये सारे संदेश पोस्ट कर दिये. बाय फेलिपे को आप ‘चल फूट’ का पर्याय  मान सकते हैं. लेकिन वे इतना करके ही नहीं रुक गईं. उन्होंने अन्य महिलाओं को भी आमंत्रित किया कि वे भी उन्हें मिले इस तरह के सन्देश इस खाते में पोस्ट कर दें. और आज हालत यह है कि इस खाते पर चार हज़ार प्रविष्ठियां आ चुकी हैं और इसके तीन लाख अठारह हज़ार फॉलोअर्स हैं.  यहां कई सन्देश तो इतने उग्र हैं कि उनका भाव करीब-करीब यह है कि तुम्हें तो मौत से भी कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए. और जो काम अलेक्ज़ेण्ड्रा ने इस बाय फेलिपे से किया वही काम पच्चीस साला एना जेंसलर ने अपनी साइट इंस्टाग्रेनीपेण्ट्स पर किया. वे ओके क्युपिड पर प्राप्त अभद्र संदेशों को अपनी साइट पर कार्टून के रूप में तब्दील कर पोस्ट करती हैं. 

असल में सोशल नेटवर्किंग और डेटिंग साइट्स पर महिलाओं को परेशान किया जाना आम बात है, हालांकि वहां उनसे थोड़ी कम परेशानी पुरुषों को भी भुगतनी पड़ती है. इन  साइट्स के प्रबन्धक भी अपनी तरफ से इन परेशानियों के लिए आई शिकायतों पर समुचित ध्यान देते और इन्हें रोकने का प्रयास करते हैं, लेकिन शरारती तत्वों और इनके बीच तू डाल-डाल मैं पात-पात का खेल चलता रहता है. देखना है कि यह सिलसिला कभी खत्म होता भी है या नहीं!
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जयपुर से प्रकाशित लोकप्रिय अपराह्न दैनिक न्यूज़ टुडै में मेरे साप्ताहिक कॉलम कुछ इधर कुछ उधर के अंतर्गत मंगलवार, 05 मई, 2015 को इण्टरनेट का मायाजाल: तू डाल-डाल मैं पात-पात शीर्षक से प्रकाशित आलेख का मूल पाठ.