Tuesday, March 17, 2015

दही बड़ा, कटोरी और पार्किंग

इधर  लगातार तीन शादियों में, मतलब शादी की दावतों में, जाने का मौका मिला और तीनों जगह एक जैसे अनुभव हुए. उन अनुभवों के बारे में मैं इस कॉलम में नहीं लिखता, अगर एक और अनुभव ने मुझे यह बात कह डालने को विवश न कर दिया होता. पहले शादी की दावतों का अनुभव. अपनी प्लेट में सलाद सब्ज़ियां वगैरह लेकर जब दही बड़े के काउण्टर तक पहुंचा तो इधर उधर नज़र दौड़ाई कि कहीं कटोरियां रखी हुई मिल जाएं. जब मुझे नज़र न आई तो वहां खड़े बैरे से पूछा, और उसने जवाब दिया कि कटोरियां दाल की काउण्टर पर है, सब लोग वहां से ला रहे हैं. अगर चाहूं तो मैं भी वहां जाकर ले आऊं. और ठीक यही अनुभव जब बाद की दो दावतों में भी हुआ तो मैं सोचने को मज़बूर हुआ कि आखिर केटरर्स को यह बात समझ में क्यों नहीं आती कि जहां दही बड़े रखे हैं वहीं उनके लिए कटोरियां भी रख दी जाएं! आखिर दही बड़ा तो कोई प्लेट में रखकर खाएगा नहीं.

और इस बात की तरफ मेरा ज़्यादा ध्यान जिस अनुभव से गया, वह यह है. इधर तीन दिन में दो बार जयपुर हवाई अड्डे पर जाने का अवसर आया. जिन्हें नहीं मालूम है उनकी जानकारी के लिए यह बात बताता चलूं कि जयपुर हवाई अड्डे पर निजी वाहनों के लिए एक ख़ास व्यवस्था है. जैसे ही आप हवाई अड्डा परिसर में प्रवेश करते हैं आपको एक पार्किंग टिकिट दिया जाता है जिस पर आपके प्रवेश करने का समय अंकित होता  है. अगर आपको सिर्फ किसी को हवाई अड्डे पर छोड़ना या वहां से लेकर  आना है  तो जल्दी से जल्दी से जल्दी यह काम कर लौट आएं, निकास पर अपनी वह पर्ची दें और अगर आपको आठ मिनिट से कम का समय लगा है तो बिना कोई शुल्क चुकाए चले आएं. इस तरह के सामान्य काम के लिए यह अवधि पर्याप्त है.  लेकिन अगर आप किसी के विदा होने तक वहां रुकना चाहते हैं, या वहां पहले पहुंच कर अपने अतिथि के आने की प्रतीक्षा करना और उन्हें लेकर आना चाहते हैं तो ज़ाहिर है कि आपको आठ मिनिट से ज्यादा का वक़्त लगेगा और तब आपको साठ रुपया पार्किंग शुल्क देना होगा. प्रीमियम पार्किंग के लिए तो यह शुल्क और अधिक है. तो अपनी इन दोनों हवाई अड्डा यात्राओं में मैंने पाया कि जवाहर सर्कल से थोड़ा आगे बढ़ते ही और ख़ास तौर पर टर्मिनल 2 वाली सीधी सड़क पर एक पूरी लेन एक के पीछे एक खड़ी हुए कारों से भरी हुई रहती है. होता यह है कि अपने मेहमानों को लेने आने वाले लोग बजाय साठ रुपया पार्किंग शुल्क खर्च करने के सड़क किनारे अपनी गाड़ी खड़ी कर उसी में बैठे रहते हैं और जैसे ही उनका अतिथि हवाई अड्डे से मय लगेज बाहर निकल कर उन्हें फोन करता है वे अन्दर  जाकर उसे लिवा लाते हैं. कहना अनावश्यक है कि इस काम के लिए जितने समय गाड़ी हवाई अड्डे के भीतर रहती है उसके लिए पार्किंग शुल्क देय नहीं होता है. यानि सड़क किनारे खड़ी गाड़ियों की यह कतार पार्किंग शुल्क बचाने वालों की होती है. उस सड़क पर यह नज़ारा आम है.

इस मंज़र को देखते हुए मुझे कुछ बरस पहले की अपनी अमरीका यात्रा की याद हो आई. वहां के सिएटल-टकोमा हवाई अड्डे पर मैंने पाया कि सामान्य सशुल्क पार्किंग एरिया के अतिरिक्त एक सेल पार्किंग एरिया और है जहां वही सुविधा बाकायदा सुलभ है जिसको जयपुर के नागरिकों ने अवैध तरह से हासिल कर रखा है. यानि आप गाड़ी खड़ी कीजिए, उसमें बैठे रहिये (यह ज़रूरी है) और जैसे ही आपके अतिथि का कॉल आए, जाकर उन्हें लिवा लाइये. वहां गाड़ी खड़ी रखने के लिए आपको कोई पार्किंग शुल्क  नहीं देना होता है. इतना ज़रूर है कि  उस सेल पार्किंग एरिया में आप अधिकतम तीस मिनिट तक अपनी गाड़ी खड़ी रख सकते हैं. लेकिन वहां के प्रशासन को इस तीस मिनिट की अवधि का निर्वाह करवाने के लिए कोई व्यवस्था नहीं करनी पड़ती है. लोग स्वत: इस समय सीमा का पालन  कर लेते हैं.

अब अमरीका के इस अनुभव को याद करते हुए मैं सोचता हूं कि आखिर क्यों हम लोगों की ज़रूरत को देख समझ तदनुसार व्यवस्था नहीं करते हैं? जब लोग जयपुर हवाई अड्डे पर पार्किंग शुल्क से बचने के लिए उस तेज़ यातायात वाली सड़क की एक लेन रोकने की अवांछित हरकत करने को मज़बूर हैं तो क्या प्रशासन को उनकी ज़रूरत को समझ तदनुसार व्यवस्था नहीं कर देनी चाहिए? और चलिये प्रशासन से तो संवेदनशीलता और सूझ-बूझ की  उम्मीद करना बहुत व्यावहारिक नहीं होगा, हमारे केटरर और शादियों पर इतना ज़्यादा खर्च  करने वालों को भी अगर यह नहीं सूझता कि दही बड़ों के पास कटोरियां भी रख दी जाएं,  तो मान लेना चाहिए कि गड़बड़ हमारी मानसिक बनावट में ही है.

•••  
जयपुर से प्रकाशित लोकप्रिय अपराह्न दैनिक न्यूज़ टुडै में मेरे साप्ताहिक कॉलम कुछ इधर कुछ उधर के अंतर्गत मंगलवार, 17 मार्च, 2015  को दही बड़े की कटोरियों जैसा पार्किंग का सवाल शीर्षक से प्रकाशित आलेख का मूल पाठ.