मिर्ज़ा ग़ालिब भी क्या खूब कह गए हैं –
होता है शब-ओ-रोज़ तमाशा मेरे आगे. हमारी दुनिया में जाने क्या-क्या होता रहता
है! कभी ऐसा जिसे देखकर मुंह से बरबस आह
निकल पड़ती है तो कभी ऐसा कि वाह! निकल पड़ती है. और आह और वाह के बीच की अनगिनत अभिव्यक्तियों की तो बात ही
मत कीजिए. अब यही देखिये ना कि आम तौर पर तो हमारे फिल्मी सितारे मीडिया का मुंह
ताकते हैं कि वो इन्हें भाव दे और इनको चर्चा में बनाए रखे, लेकिन कभी-कभी मीडिया
भी अपनी और शालीनता की हदों को पार कर जाता है! अक्सर तो यह होता है कि अपना
लाभ-हानि सोच कर सितारे चुप रह जाते हैं, लेकिन कभी-कभार यूं भी होता है कि मीडिया
का दांव उलटा पड़ जाता है!
पिछले दिनों ऐसा ही एक वाकया हुआ. देश के एक नामी और पुराने अंग्रेज़ी अखबार ने अपने मनोरंजन पृष्ठ
क्या कहा दीपिका ने अपने ट्वीट में? अपने
पहले ट्वीट में उन्होंने बेलौस अन्दाज़ में कहा, “यस! आइ एम अ वुमन. आई हैव ब्रेस्ट्स एण्ड अ
क्लीवेज. यू गॉट अ प्रॉब्लम??” अपने स्त्रीत्व की इतनी मुखर घोषणा और अपनी देह
संरचना की ऐसी बेबाक स्वीकृति! और सामने वाले की आंखों में अपनी तीखी उंगलियां
डालकर सवाल कि आपको इसमें क्या आपत्ति है? शायद ऐसे ही अवसर होते हैं जब बरबस
हमारे मुंह से निकल पड़ता है – वाह! जवाब भला किसके पास हो सकता है? उस बदतमीज़ अखबार को बैकफुट पर तो आना ही था.
लेकिन दीपिका इतने भर पर नहीं रुकीं. उन्होंने तुरंत ही एक और ट्वीट किया – “डोण्ट
टॉक अबाउट विमंस एम्पावरमेण्ट व्हेन यू डोण्ट नो हाउ तू रेस्पेक्ट विमन.” जब आपको
यह भी मालूम नहीं कि स्त्रियों का सम्मान
कैसे किया जाए, तो मेहरबानी करके स्त्री सशक्तिकरण की बात मत कीजिए. ज़ाहिर
है कि इशारा उन बहुत सारे प्रयासों की तरफ था जो यह अखबार अपनी सामाजिक ज़िम्मेदारी
का प्रदर्शन करने के लिए करता रहता हैं.
यह ट्वीट करके दीपिका ने भले ही एक अखबार
को आड़े हाथों लिया है, और उसे अपने कृत्य के लिए माफी मांगने को मज़बूर किया है, इस
घटना के निहितार्थ और व्यापक हैं. हमें लगता है कि दीपिका की यह आवाज़ पूरे देश में, बल्कि पूरी दुनिया में सुनी
जानी चाहिए. स्त्री देह के प्रति हमारा जो रवैया और नज़रिया है उस पर पुनर्विचार की
ज़रूरत है. उसे देखकर कामुक-लोलुप अभिव्यक्तियां करने वालों को सीधा किया जाना बहुत
ज़रूरी है. देह देह है, चाहे वो पुरुष की हो या स्त्री की. उसके लिए एक सम्मानपूर्ण
स्वाभाविक सोच जब तक हम सबमें नहीं आएगा, समाज विकृतियों से मुक्त नहीं हो पाएगा. दीपिका
का यह साहसपूर्ण कृत्य हमारे सोच की विकृतियों को दूर करने वाला बने – यह हम सबकी आकांक्षा होनी चाहिए.
खुशी की
बात यह है कि दीपिका के इन दोनों ट्वीट्स को अपेक्षित समर्थन मिला. देखते
ही देखते #स्टैण्ड विद दीपिका पादुकोण ट्वीटर का शीर्ष ट्रैण्ड बन गया. हज़ारों
लोगों ने दीपिका के इन ट्वीट्स को रीट्वीट किया या इनका समर्थन किया. इतना ही
नहीं, उक्त अखबार ने जो सफाई दी उसे पूरी तरह
अस्वीकार करते हुए लोगों ने उसके खिलाफ अपनी नाराज़गी का भी इज़हार किया.
क्या इसी को कहेंगे – अखबार के नहले पर
दीपिका का दहला?
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लोकप्रिय अपराह्न दैनिक न्यूज़ टुडै में मेरे साप्ताहिक कॉलम कुछ इधर कुछ उधर के अंतर्गत मंगल्वार, 16 सितम्बर, 2014 को गंदी मानसिकता पर दीपिका का दहला शीर्षक से प्रकाशित आलेख का मूल पाठ.