Tuesday, October 7, 2008

पत्नी: पति के पीछे या उसके साथ

पत्रकार और प्रसारण माध्यमों की जानी-मानी टिप्पणीकार मेगन बाशम की एकदम हाल ही में प्रकाशित किताब ‘बिसाइड एवरी सक्सेसफुल मेन’ एक चौंकाने वाली स्थापना करती है और वह यह कि आज की औरत कामकाजी दुनिया से बाहर निकलने के लिए व्याकुल है, लेकिन दोहरी कमाई से घर चला पाने की विवशता के कारण काम करते रहने को मज़बूर है. कहना अनावश्यक है, यह स्थापना प्रचलित नारीवादी सोच से हटकर है.

मेगन पश्चिम के एक लोकप्रिय मनोरंजन चैनल ई! से एक मार्मिक प्रसंग उठाती हैं. एक आकर्षक युवा शल्य चिकित्सक ने उतनी ही आकर्षक एक डॉक्टर से शादी की है. कुछ समय बाद वे एक घर खरीदने की योजना बनाते हैं. एक एस्टेट एजेण्ट उन्हें एक बहुत उम्दा घर बताता है. घर दोनों को बहुत पसन्द आता है. पति पत्नी से कहता है, “यह घर हमारे लिए एकदम उपयुक्त है. लेकिन अगर हम इसे खरीदना चाहें तो तुम्हें अपनी नौकरी ज़ारी रखनी पड़ेगी.” पत्नी पूछती है, “कब तक?” “यह तो मैं नहीं जानता. शायद काफी दिनों तक.” पति का जवाब है. हताश-उदास पत्नी कहती है, “मगर हमने तो बच्चों के बारे में बात की थी, तुम भी तो तैयार थे.” “अभी उसके लिए बहुत वक़्त है.” पति का यह भावहीन उत्तर सुनकर पत्नी अपनी कडुआहट रोक नहीं पाती है, “हां, काफी वक़्त है, अगर तुम किसी और औरत के साथ बच्चे चाहो तो. मैं पैंतीस की तो हो चुकी हूं.”

अब ज़रा इस यथार्थ की तुलना कुछ वर्ष पहले के उस यथार्थ से कीजिए जहां पति चाहता था कि पत्नी घर में ही रहे, बच्चे पैदा करे और पाले. मेगन बताती हैं कि जब भी वे और उनकी सहेलियां मिलती हैं (सभी 25 से 35 के बीच की उम्र की हैं) तो उनकी बातचीत इस मुद्दे पर सिमट आती है कि आखिर कब उनके पति उन्हें नौकरी से मुक्ति दिलायेंगे? मेगन न्यू जर्सी की एक महिला वकील को यह कहते हुए उद्धृत करती हैं कि उनका सपना है कि वे अपने काम से मुक्त हो जाएं और सप्ताह के किसी दिन दोपहर में ग्रॉसरी शॉपिंग करें. इसी तरह एक 29 वर्षीया डॉक्टर कहती हैं कि हालांकि उन्हें अपने काम में मज़ा आता है, वे एक पत्नी और मां बने रहना ज़्यादा पसन्द करेंगी. ‘अच्छा होता, मैं डॉक्टर न होती’. वे कहती हैं.

मेगन बताती हैं को उनके देश में हुए अधिकांश जनमत सर्वेक्षण यही बताते हैं कि अब ज़्यादा से ज़्यादा महिलाएं अपने जीवन के बेहतर वर्षों को घर और बच्चों के लिए प्रयुक्त करना चाहती हैं. यहां तक कि वे युवा अविवाहित लड़कियां भी, जिन्होंने अब तक बच्चों की ज़रूरतों का स्वयं अनुभव नहीं किया है, कहती हैं कि वे कैरियर की सीढियां चढने की बजाय परिवार की देखभाल मे समय लगाना अधिक पसन्द करेंगी.

लेकिन असल चुनौती यहीं उत्पन्न होती है. क्या स्त्री पढ-लिख कर काम न करे? अपने ज्ञान, प्रतिभा, योग्यता सब को चूल्हे-चौके में झोंक दे? और अगर वह ऐसा कर भी दे, तो उन आर्थिक ज़रूरतों की पूर्ति कैसे होगी, जो दिन-ब-दिन बढती जा रही हैं. और यहीं मेगन एक नई बात कहती हैं. वे सुझाती हैं कि शिक्षित, प्रतिभासम्पन्न, और दक्ष महिलाओं के लिए बेहतर विकल्प यह है कि वे अपनी योग्यताओं का इस्तेमाल अपने पतियों के कैरियर के उन्नयन में करें. ऐसा करने से न तो उनकी योग्यताओं का अपव्यय होगा, न उन्हें ठाले रहने का मलाल होगा और न बेहतर ज़िन्दगी जीने के अपने सपनों में कतर-ब्योंत करनी होगी. काम के मोर्चे पर पति की कामयाबी में सहयोगी बन कर स्त्री कुछ भी खोये बगैर सब कुछ प्राप्त कर सकती है. आज की स्त्री को मेगन की सलाह है कि वह एकल स्टार बनने की बजाय मज़बूत टीम की सदस्य बने. और यही वजह है कि उन्होंने इस किताब के शीर्षक में बिहाइण्ड की जगह बिसाइड शब्द का प्रयोग किया है.


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Discussed book:
Beside Every Successful Men
By Megan Basham
Published by Crown Forum
Hardcover, 256 pages
US $ 24.95

राजस्थान पत्रिका के रविवारीय परिशिष्ट में मेरे पाक्षिक कॉलम 'किताबों की दुनिया' के अंतर्गत 5 अक्टोबर, 2008 को प्रकाशित.










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