Sunday, September 2, 2007

एक और दिलचस्प किताब के बारे में

क्या नहीं, कैसे
डॉ दुर्गाप्रसाद अग्रवाल

आज की दुनिया बहुत बदल गई है। हर किसी के पास इण्टरनेट पर माय स्पेस है और वह प्रकाशक है, हर किसी के पास कैमरा युक्त मोबाइल है, और वह चलता फ़िरता फ़ोटो पत्रकार है, हर कोई यू ट्यूब पर अपना बनाया वीडियो अपलोड कर सकता है और वह फ़िल्मकार है। यानि हम में से हरेक अब प्रकाशक, पत्रकार, फ़िल्मकार वगैरह है और हमारी ज़द में आने वाला हर व्यक्ति एक सार्वजनिक व्यक्ति है। इस बदलाव के कारण हमारी ज़िन्दगी पर और खासकर व्यापार पर जो असर पड रहा है उसी की गम्भीर पडताल की है एल आर एन नामक एक बिज़नेस एथिक्स कम्पनी के संस्थापक और सी ई ओ डोव सीडमेन ने अपनी नई किताब हाउ (HOW) में।

सीडमेन की स्थापना का सार यह है कि आज की अत्यधिक पारदर्शी दुनिया में यह पहले से अधिक महत्वपूर्ण हो गया है कि आप कैसे अपनी ज़िन्दगी जीते हैं और कैसे अपना व्यापार चलाते हैं क्योंकि आज पहले से कहीं ज़्यादा लोग बिना किसी सम्पादक-प्रकाशक के आपके अन्तरंग में झांक पाने और उसे औरों को दिखा पाने में समर्थ हैं। इसलिए, अगर आपको आज की दुनिया में सफ़ल होना है तो इन नई स्थितियों को अपने पक्ष में इस्तेमाल करना सीखना होगा।

इसी के साथ यह भी कि आज नई पीढी के लिए यह जानना समझना भी ज़रूरी है कि आज जो भी किया, कहा या लिखा जाता है वह तुरंत डिजिटल जगत में अमिट हो जाता है। उसे मिटाया ही नहीं जा सकता, कभी भी। इसलिए, हमाई ज़रा-सी चूक या भूल, जैसे हमारे सी वी पर की गई छोटी-सी गलतबयानी, या कहीं की गई कोई टिप्पणी हमारे लिए सदा के लिए कष्टदायक बन सकती है। इलेक्ट्रॉनिक और सायबर स्पेस में स्मृति की अक्षुण्णता ने यह स्थिति पैदा कर दी है कि आपको कोई दूसरा मौका नहीं मिलने वाला। इसीलिए सीडमेन कहते हैं कि “इस सूचना युग में जीवन में कोई अध्याय या अलमारी बन्द नहीं है जहां आप कुछ गोपनीय रख सकें। आप कुछ भी पीछे नहीं छोड सकते और न अपना कूडा-कबाड कहीं छिपा सकते हैं। आपका अतीत ही आपका वर्तमान है। इसलिए, अगर जीवन में आगे बढना है तो ‘कैसे’ को सम्भालना होगा।“

यही बात व्यापार के बारे में भी है। वह समय पीछे छूट गया है जब कम्पनियां कुछ जन सम्पर्क कर्मियों को खिला-पिलाकर, दे-दिलाकर अपनी छवि दुरुस्त कर लिया करती थी। आज तो हममें से हरेक एक रिपोर्टर है और उसकी बात पूरी दुनिया में पढी-सुनी जाती है। लेकिन, सीडमेन कहते हैं, इसी में अनन्त सम्भावनाएं भी छिपी हैं। वे कहते हैं कि आज आप जो माल बनाते हैं, उसकी तो सारी दुनिया नकल करके बेच सकती है, लेकिन आप कैसे अपने ग्राहकों से बर्ताव करते हैं, कैसे उनसे अपने वादे निबाहते हैं, कैसे अपने सहयोगियों के साथ रिश्ते रखते हैं – इसकी कोई नकल नहीं हो सकती। इसी ‘कैसे’ में छिपा होता है आपकी सफ़लता का रहस्य! सीडमेन एक बहुत खू्बसूरत बात कहते हैं : मानवीय व्यवहार में इतना वैविध्य है और यह इतना वैश्विक है कि इससे अनंत सम्भावनाएं उपजती हैं।
सीडमेन कुछ उदाहरण देकर अपनी बात पुष्ट करते हैं। मिशिगन के एक अस्पताल ने अपने डॉक्टरों को पाबन्द किया कि वे कोई भी गलती करने पर माफ़ी मांगें। सीडमेन कहते हैं कि इसके बाद उस अस्पताल के माल प्रैक्टिस (दुराचरण) क्लेम्स में ज़बर्दस्त कमी आई। इसी तरह टेक्सस में एक मोटर कम्पनी ने अपने मैकेनिकों को यह छूट दे दी कि वे सही काम करने के लिए कम्पनी का चाहे कितना भी खर्च कर सकते हैं। बकौल सीडमेन, ग्राहक संतुष्टि बढने के कारण कम्पनी का असल खर्च कम हो गया। इसी तरह न्यूयॉर्क की एक गली के डोनट सेलर ने अपने ग्राहकों पर विश्वास करते हुए यह व्यवस्था की कि वे अपनी शेष रेज़गारी उसके गल्ले से खुद उठा लें, तो उसने पाया कि न केवल वह ज़्यादा ग्राहकों की सेवा कर पा रहा है, उसके इस विश्वास प्रदर्शन से उसके ग्राहकों की संख्या भी बढ गई है।

इस तरह के उदाहरणों से सीडमेन स्थापित करते हैं कि अब हम कांच के घरों में नहीं रहते हैं। बल्कि घरों की तो दीवारें भी होती हैं, हम तो कांच के माइक्रोस्कोपिक स्लाइड्स पर धरे हैं, जिन्हें हर कोई देख सकता है। इसलिए चाहे आप कार बेचते हों या अखबार, या इन्हें खरीदते हों, अपना ‘कैसे’ दुरुस्त रखिये। यानि कोशिश कीजिये कि विश्वास कायम करें, साथ मिलकर काम करें, सही तरह से नेतृत्व करें और मौका आये तो अपनी गलती के लिए ईमानदारी से क्षमा याचना करें। इसलिए, कि पहले से ज़्यादा लोग जानते हैं, जान सकते हैं कि आप क्या करते हैं और क्या नहीं।

सीडमेन बहुत ज़ोर देकर कहते हैं कि इस अत्यधिक पारदर्शी और बेहद जुडे हुए विश्व में हमें अपनी भूमिका और कामों पर पुनर्विचार करना पडेगा। अब जब सूचना अपरिमित हो चली है, उसकी जमाखोरी निरर्थक है। इसकी बजाय हमें उसे अधिक सुलभ कराना चाहिये। आज जब दुनिया में वैश्विक पार्टनर्स के साथ मिलकर काम करना व्यापार के लिए ज़रूरी होता जा रहा है, व्यापार की सफ़लता के लिए सूचनाओं का साझा ज़रूरी है। आज का नया मंत्र है : जुडो और साथ मिलकर काम करो। जो ज़्यादा अच्छी तरह ऐसा कर पाएंगे, भविष्य उन्हीं का होगा।

कहना अनावश्यक है, सीडमेन की यह सीख जितनी व्यापारिक गतिविधियों पर लागू होती है, उतनी ही वैयक्तिक आचरण पर भी।
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